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________________ पुद्गल अध्ययन १७५७ एए नव भंगा फासेसु। प. तिपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा !१.सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे, २. सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, ३. सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, ४. सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते, जइ एगवन्ने१. सिय कालए जाव ५. सुक्किल्लए। जइ दुवने१. सिय कालए य, नीलए य, २. सिय कालए य, नीलगाय, ३. सिय कालगा य,नीलए य, १. सिय कालए य, लोहियए य, २. सिय कालए य,लोहियगाय, ३. सिय कालगा य, लोहियए य। १-३.एवं हालिद्दएण वि समं भंगा३ इस प्रकार स्पर्श के नौ भंग होते हैं। (इस प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के १५, गंध के ३, रस के १५ और स्पर्श के ९ यो सब मिलाकर ४२ भंग हुए) प्र. भंते ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण,गन्ध, रस, स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! १. कदाचित् एक वर्ण वाला, कदाचित् दो वर्ण वाला और कदाचित् तीन वर्णवाला होता है। २. कदाचित् एक गंध वाला और कदाचित् दो गंध वाला होता है। ३. कदाचित् एक रस वाला, कदाचित् दो रस वाला और कदाचित् तीन रस वाला होता है। ४. कदाचित् दो स्पर्श वाला, कदाचित् तीन स्पर्श वाला और कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है। यदि एक वर्ण वाला हो तो१-५. कदाचित् काला होता है यावत् कदाचित् श्वेत होता है। यदि दो वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला और नीला होता है, २. कदाचित् एक अंश काला और दो अंश नीले होते हैं, ३. कदाचित् दो अंश काले और एक अंश नीला होता है, १. कदाचित् काला और लाल होता है, २. कदाचित् एक अंश काला और दो अंश लाल होते हैं, ३. कदाचित् दो अंश काले और एक अंश लाल होता है। १-३.इसी प्रकार काले वर्ण के, पीले वर्ण के साथ तीन भंग (पूर्ववत्) जानने चाहिए। १-३. इसी प्रकार काले वर्ण के साथ श्वेत वर्ण के भी तीन भंग जानने चाहिए। १-३. कदाचित् नीला और लाल वर्ण के साथ पूर्ववत् तीन भंग कहने चाहिए। १-३. इसी प्रकार नीले वर्ण के, पीले वर्ण के साथ तीन भंग कहने चाहिए। १-३. इसी प्रकार नीले वर्ण के, श्वेत वर्ण के साथ तीन भंग जानने चाहिए। १-३. कदाचित् लाल और पीले वर्ण के साथ भी तीन भंग कहने चाहिए। १-३. इसी प्रकार लाल वर्ण के, श्वेत वर्ण के साथ तीन भंग जानने चाहिए। १-३. कदाचित् पीला और श्वेत ये तीन भंग जानने चाहिए। यह सब दस द्विकसंयोगी मिल कर तीस भंग होते हैं। यदि (त्रिप्रदेशी स्कन्ध) तीन वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला, नीला और लाल होता है, २. कदाचित् काला, नीला और पीला होता है, ३. कदाचित् काला, नीला और श्वेत होता है, ४. कदाचित् काला, लाल और पीला होता है, १-३. एवं सुक्किल्लएण वि समं भंगा३ १-३.सिय नीलए य लोहियए य, एत्थ विभंगा३ १-३. एवं हालिद्दएण वि समं भंगा३ १-३.एवं सुक्किल्लएण वि समभंगा३ १-३.सिय लोहियए य, हालिद्दएणय भंगा३ १-३. एवं सुक्किल्लएण वि समं भंगा ३ १-३. सिय हालिद्दए य, सुक्किल्लए य भंगा ३, एवं सब्वेए दस दुयासंजोगा भंगा तीसंभवंति। जइ तिवन्ने१. सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, २. सिय कालए य, नीलए य, हालिद्दए य, ३. सिय कालए य,नीलए य, सुक्किल्लए य, ४. सिय कालए य,लोहियए य, हालिद्दए य, १. विया.स.१८, उ.६, सु.८
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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