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________________ ( १७२२ । १७२२ द्रव्यानुयोग-(३) ) ७.सिय चरिमे य अचरिमे य, ७. कथंचित् (एक वचन से) चरम और अचरम है, ८.सिय चरिमे य अचरिमाइंच, नगर ना ९.सिय चरिमाइंच अचरिमे य, Baal ८. कथंचित् (एक वचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम है, ९. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और (एक वचन से) अचरम है, १०. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और अचरम है, ११. कथंचित् (एक वचन से) चरम और अवक्तव्य है, १०.सिय चरिमाइं च अचरिमाइंच, ११.सिय चरिमे य अवत्तव्वए य, [ १२. सिय चरिमे य अवत्तव्वयाइंच, [r १३.सिय चरिमाइंच अवत्तव्वए य, १२. कथंचित् (एक वचन से) चरम और (बहुवचन से) अवक्तव्य है. १३. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और (एक वचन से) अवक्तव्य है, १४. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और अवक्तव्य है, १४.सिय चरिमाइंच अवत्तव्वयाइंच, . १५. नो अचरिमे य अवत्तव्वए य, १६.नो अचरिमे य अवत्तव्वयाइंच, १५. वह (एक वचन से) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, १६. वह (एक वचन से) अचरम नहीं है और (बहुवचन से) अवक्तव्य है. १७. वह (बहुवचन से) अचरम नहीं है और (एक वचन से) अवक्तव्य है, १८. वह (बहुवचन से) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, १७. नो अचरिमाइंच अवत्तव्वए य, १८.नो अचरिमाइंच अवत्तव्वयाइंच, १९.सिय चरिमेय अचरिमेय अवत्तव्वए य, २०.नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइंच, २१.नो चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्वए य, १९. कथंचित् (एक वचन से) चरम, अचरम और अवक्तव्य है, २०.वह (एक वचन से) चरम और अचरम नहीं है (बहुवचन से) अवक्तव्य है, २१. वह (एक वचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम नहीं है, किन्तु (एक वचन से) अवक्तव्य है, २२. वह (एक वचन से) चरम नहीं है, (बहुवचन से) अचरम और अवक्तव्य है, २३. कथंचित् (बहुवचन से) अचरम है तथा (एक वचन से) अचरम और अवक्तव्य है, २४. कथंचित् (बहुवचन से) चरम है और (एक वचन से) अचरम है तथा (बहुवचन से) अवक्तव्य है, २२. नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च, २३.सिय चरिमाइंच अचरिमे य अवत्तव्वए य, २४.सिय चरिमाइंच अचरिमेय अवत्तव्वयाइंच, २५.सिय चरिमाइंच अचरिमाइंच बनन अवत्तव्वए य, २६.सिय चरिमाइंच अचरिमाइंच नगन अवत्तव्वयाइंच। प. सत्तपएसिएणं भंते ! खंधे किं १. चरिमे जाव २६. उदाहु चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्बयाई च? उ. गोयमा !१.सत्तपएसिएणं खंधे २५. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और अचरम है तथा (एक वचन से) अवक्तव्य है, २६. कथंचित् (बहुवचन से) चरम, अचरम और अवक्तव्य है। प्र. भन्ते ! सप्तप्रदेशिक स्कन्ध क्या १.(एक वचन से) चरम है यावत् २६. अथवा (बहुवचन से) चरम, अचरम और अवक्तव्य है? उ. गौतम ! सप्तप्रदेशिक स्कन्ध
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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