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________________ १७२३ चरमाचरम अध्ययन १.सिय चरिमे, २.नो अचरिमे, ३. सिय अवत्तव्वए, ४.नो चरिमाइं, ५. नो अचरिमाइं, ६. नो अबत्तव्वयाई, १.(एकवचन से) कथंचित् चरम है, २. अचरम नहीं है, ३. कथंचित् अवक्तव्य है, ४. वह (बहुवचन से) चरम नहीं है, ५.अचरम नहीं है, ६.अवक्तव्य नहीं है, ७.सिय चरिमे य अचरिमे य, oooo ७. कथंचित् (एकवचन से) चरम और अचरम है, ८.सिय चरिमे य अचरिमाइंच, वन ९.सिय चरिमाइं च अचरिमे य, रा १०.सिय चरिमाइं च अचरिमाइंच, CD ८. कथंचित् (एकवचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम है, ९. कथंचित् (बहुवचन से) चरम है और (एकवचन से) अचरम है, १०. कथंचित् (बहुवचन से) चरम और अचरम है, ११.सिय चरिमे य अवत्तव्वए य, ११.कथंचित् (एक वचन से) चरम और अवक्तव्य है, १२.सिय चरिमे य अवत्तव्वयाइंच, १२.कथंचित् (एक वचन से) चरम है और (बहुवचन से) अवक्तव्य है, १३.कथंचित् (बहुवचन से) चरम है और (एक वचन से) अवक्तव्य है, १३.सिय चरिमाइंच अवत्तव्यए य, १४.सिय चरिमाइंच अवत्तव्वयाई च, वर्ग १४.कथंचित् (बहुवचन से) चरम और अवक्तव्य है, . १५. नो अचरिमे य अवत्तव्वए य, १६.नो अचरिमेय अवत्तव्वयाई च, १५.वह (एकवचन से) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, १६.वह (एकवचन से) अचरम नहीं है और (बहुवचन से) अवक्तव्य है, १७.वह (बहुवचन से) अचरम नहीं है और (एक वचन से) अवक्तव्य है, १८.वह (बहुवचन से) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, . १७.नो अचरिमाइंच अवत्तव्यए य, १८.नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च, १९.कथंचित् (एकवचन से) चरम, अचरम अवक्तव्य है, और १९.सिय चरिमे य अचरिमेय अवत्तव्वए य, २०.सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइंच, नम २०. कथंचित् (एकवचन से) चरम और अचरम है तथा (बहुवचन से) अवक्तव्य है, __ २१.सिय चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्यए य, _ गगन २१.कथंचित् (एकवचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम तथा (एकवचन से) अवक्तव्य है, D २२. नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च, २२.(एकवचन से) चरम, (बहुवचन से) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, २३.कथंचित् (बहुवचन से) चरम (एकवचन से) अचरम . और अवक्तव्य है, २३.सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वए य,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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