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________________ चरमाचरम अध्ययन १७१७ २. चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, ३. अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, पएसट्टयाए१. सव्वत्थोवा परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेज्जपए सियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स चरिमंतपएसा, २. अचरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, ३. चरिमंतपएसा य, अचरिमंतपएसा य दो वि __विसेसाहिया, दव्वट्ठपएसट्टयाए१. सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेज्ज पएसियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स दव्वट्ठयाए एगे अचरिमे, २. चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, ३. अचरिमंच चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, पएसट्ठयाए १. पएसट्टयाए चरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, २. अचरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, ३. चरिमंतपएसा य, अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, एवं वट्ट-तंस-चउरंस-आयएसु वि जोएअव्वं। २. (उनसे) (बहुवचन वाला) चरम असंख्यातगुणा है। ३. (उनसे) (एकवचन वाला) अचरम और (बहुवचन वाला) चरम ये दोनों विशेषाधिक हैं। प्रदेशों की अपेक्षा१. असंख्यातप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ परिमंडल संस्थान के चरमान्तप्रदेश सबसे अल्प हैं। २. (उनसे) अचरमान्तप्रदेश असंख्यातगुणे हैं। ३. (उनसे) चरमान्त प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश ये दोनों विशेषाधिक हैं। द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा१. असंख्यातप्रदेशी एवं असंख्यात प्रदेशावगाढ परिमंडल संस्थान का (एकवचन वाला) अचरम द्रव्य की अपेक्षा सबसे अल्प है। २. (उनसे) (बहुवचन वाले) चरम असंख्यातगुणे हैं। ३. (उनसे) (एकवचन वाला) अचरम और (बहुवचन वाला) चरम ये दोनों विशेषाधिक हैं। प्रदेशों की अपेक्षा१. चरमान्त प्रदेश असंख्यातगुणे हैं। २. (उनसे) अचरमान्तप्रदेश असंख्यातगुणे हैं। ३. (उनसे) चरमान्त प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश ये दोनों विशेषाधिक हैं। इसी प्रकार वृत्त, त्र्यंस, चतुरंस और आयत संस्थान के लिए कहना चाहिए। प्र. भंते ! अनन्तप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ परिमण्डल संस्थान का, (एकवचन वाला) अचरम और (बहुवचन वाला) चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्त प्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेशों की अपेक्षा एवं द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! जैसे संख्यातप्रदेशी एवं संख्यातप्रदेशावगाढ परिमण्डलसंस्थान के (अचरमादि के अल्पबहुत्व के लिए कहा वैसे ही (अनन्तप्रदेशी एवं संख्यातप्रदेशावगाढ का अल्प बहुत्व) कहना चाहिए। विशेष-संक्रम में अनन्तगुणा कहना चाहिए। इसी प्रकार आयतसंस्थान पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भंते ! अनन्तप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ परिमण्डल संस्थान का(एकवचन वाला) अचरम और (बहुवचन वाला) चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा, प्रदेशों की अपेक्षा तथा द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! जैसे असंख्यातप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ परिमण्डल संस्थान का अल्पबहुत्व कहा उसी प्रकार (अनन्तप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशावगाढ का अल्पबहुत्व) कहना चाहिए। प. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स, अचरिमस्स य, चरिमाण य, चरिमंतपएसाण य,अचरिमंतपएसाण य, दव्वट्ठयाए, पएसट्ठाए, दव्वट्ठपएसठ्ठयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! जहा संखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स परिमंडलस्स वत्तव्वया तहा भाणियव्वं । णवरं-संकमे अणंतगुणा, एवं जाव आयए। प. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स, अचरिमस्स य, चरिमाण य, चरिमंतपएसाण य,अचरिमंतपएसाण य, दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए, दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! जहा असंखेज्जपएसियस्स असंखेज्जप एसोगाढस्स, परिमंडलस्स वत्तव्वया तहा भाणियव्वं।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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