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________________ १७१८ पवर-संकमे अणंतगुणा, एवं जाव आयए। -पण्ण. प.१०,सु. ८०२-८०६ ८. दव्वाइं पडुच्च परमाणुपोग्गलस्स चरिमाचरिमत्त परूवणं- द्रव्यानुयोग-(३) विशेष-संक्रम में अनन्तगुणा कहना चाहिए। इसी प्रकार आयतसंस्थान पर्यन्त अल्पबहुत्व कहना चाहिए। ८. द्रव्यादि की अपेक्षा परमाणु पुद्गल के चरमाचरमत्व का प्ररूपणप्र. भंते ! परमाणु पुद्गल क्या चरम है या अचरम है ? उ. गौतम ! द्रव्यादेश से चरम नहीं है, अचरम है। क्षेत्रादेश से कदाचित् चरम है और कदाचित् अचरम है। कालादेश से कदाचित् चरम है और कदाचित् अचरम है। भावादेश से कदाचित् चरम है और कदाचित् अचरम है। प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरिमे,अचरिमे? उ. गोयमा ! दव्वादेसेणं नो चरिमे,अचरिमे, खेत्तादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे, कालादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे, भावादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे। -विया. स. १४, उ.४, सु.९ ९. परमाणुपोग्गल खंधेसु य चरिमाचरिम परूवणंप. परमाणुपोग्गले णं भंते !१.किं चरिमे,२.अचरिमे, ३.अवत्तव्वए, ४. चरिमाई, ५.अचरिमाई, ६.अवत्तव्वयाई, ७.उदाहु चरिमे य अचरिमे य, . ८. उदाहु चरिमे य अचरिमाइंच, ९. उदाहुचरिमाइंच अचरिमे य, १०.उदाहु चरिमाइंच अचरिमाइंच? पढमा चउभंगी, ११.उदाहु चरिमे य अवत्तव्बए य, १२.उदाहु चरिमेय अवत्तव्वयाई च, १३. उदाहु चरिमाइं च अवत्तव्वएय, १४. उदाहु चरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च? विइय चउभंगी, १५.उदाहु अचरिमे य अवत्तव्वए य, १६.उदाहु अचरिमे य अवत्तव्वयाइंच, ९. परमाणु पुद्गल और स्कन्धों में चरमाचरम का प्ररूपणप्र. भंते ! परमाणुपुद्गल क्या (एकवचन से) १. चरम है, २. अचरम है, ३. अवक्तव्य है ? (बहुवचन से) ४. चरम है, ५. अचरम है, ६. अवक्तव्य है? ७. अथवा (एकवचन से) चरम और अचरम है ? ८. अथवा (एक वचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम है? ९. अथवा (बहुवचन से) चरम और (एकवचन से) अचरम है, १०.अथवा (बहुवचन से) चरम और अचरम हैं ? यह प्रथम चतुर्भगी है। ११. अथवा (एकवचन से) चरम और अवक्तव्य है? १२. अथवा (एकवचन से) चरम और (बहुवचन से) अवक्तव्य हैं ? १३. अथवा (बहुवचन से) चरम और (एकवचन से) अवक्तव्य है? १४. अथवा (बहुवचन से) चरम और अवक्तव्य है? यह द्वितीय चतुर्भगी है। १५. अथवा (एकवचन से) अचरम और अवक्तव्य है? १६. अथवा (एकवचन से) अचरम और (बहुवचन से) अवक्तव्य हैं? १७. अथवा (बहुवचन से) अचरम और (एक वचन से) अवक्तव्य है? १८. अथवा (बहुवचन से) अचरम और अवक्तव्य हैं ? यह तृतीय चतुर्भगी है। १९. अथवा (एक वचन से) चरम, अचरम और अवक्तव्य है? २०. अथवा (एकवचन से) चरम, अचरम और (बहुवचन से) अवक्तव्य हैं ? २१. अथवा (एकवचन से) चरम, (बहुवचन से) अचरम और (एकवचन से) अवक्तव्य है? २२. अथवा (एकवचन से) चरम और (बहुवचन से) अचरम तथा अवक्तव्य हैं ? यह चौथी चतुर्भगी है। २३. अथवा (बहुवचन से) चरम और (एकवचन से) अचरम तथा अवक्तव्य है? २४. अथवा (बहुवचन से) चरम, (एकवचन से) अचरम तथा (बहुवचन से) अवक्तव्य है? १७. उदाहु अचरिमाईच अवत्तव्वए य, १८. उदाहु अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च? तइया चउभंगी, १९. उदाहु चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य, २०.उदाहु चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइंच, २१.उदाहु चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्वए य, २२. उदाहु चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्बयाई च? चउत्था चउभंगी, २३.उदाहु चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्यए य, २४. उदाहु चरिमाइंच अचरिमे य अवत्तव्ययाई,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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