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________________ १६९८ ६. असमोहया असंखेज्जगुणा । एवं जाव थणियकुमारा । प. दं. १२-१६. एएसि णं भंते ! पुढविक्काइयाणं १. वेयणासमुग्धाएणं, २. कसायसमुग्धाएणं, ३. मारणांतियसमुग्धाएणं, समोहयाणं, ४. असमोहयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहियावा ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा पुढविकाइया मारणांतियसमुग्धाएणं समोहया, २. कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, ३. वेयणासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, ४. असमोहया असंखेज्जगुणा । एवं जाव वणस्सइकाइया । णवरं सव्वत्थोवा वाउक्काइया वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहया, २. मारणांतियसमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, ३. कसायसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, ४. वेयणासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, ५. असमोहया असंखेज्जगुणा । प. दं. १७-१९. बेइंदियाणं भंते ! १. वेयणासमुग्धाएणं, २. कसायसमुग्धाएणं, ३. मारणांतियसमुग्धाएणं, समोहयाणं, ४. असमोहयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा बेइंदिया मारणांतियसमुग्धाएणं समोहया, २. वेयणासमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, ३. कसायसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, ४. असमोहया संखेज्जगुणा । एवं जाव चउरिंदिया | प. दं. २०. पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! १. वेयणासमुग्धाएणं, २. कसायसमुग्घाएणं, ३. मारणांतियसमुग्घाएणं, ४. वेउव्वियसमुग्धाएणं, ५. तेजस्समुग्घाएणं, समोहयाणं, ६. असमोहयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? द्रव्यानुयोग– (३) ६. (उनसे) असमवहत असुरकुमार असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार नागकुमार से स्तनितकुमार पर्यन्त अल्पबहुत्व जानना चाहिए। प्र. १२-१६. भंते ! इन १. वेदनासमुद्घात से, २. कषायसमुद्घात से, ३. मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत तथा ४. असमवहत पृथ्वीकायिकों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक हैं, २. ( उनसे) कषायसमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक संख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे) वेदनासमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, ४. ( उनसे) असमवहत पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार वनस्पतिकायिक पर्यन्त अल्पबहुत्व जानना चाहिए। विशेष - १. ( वायुकायिक जीवों में) सबसे अल्प वैक्रियसमुद्घात से समवहत वायुकायिक हैं, २. ( उनसे) मारणान्तिक समुद्घात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे ) कषाय समुद्घात से समवहत वायुकायिक संख्यातगुणे हैं, ४. ( उनसे ) वेदनासमुद्घात से समवहत वायुकायिक विशेषाधिक हैं, ५. ( उनसे) असमवहत वायुकायिक जीव असंख्यातगुणे हैं। प्र. दं. १७-१९. भंते ! इन १. वेदनासमुद्घात से, २. कषायसमुद्घात से, ३. मारणान्तिक समुद्घात से समवहत और ४. असमवहत द्वीन्द्रिय जीवों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प मारणान्तिक समुद्घात से समवहत न्द्रिय जीव हैं। २. ( उनसे ) वेदनासमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय जीव असंख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे ) कषायसमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय जीव संख्यातगुणे हैं, ४. ( उनसे ) असमवहत द्वीन्द्रिय जीव संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय पर्यन्त अल्पबहुत्व जानना चाहिए। प्र. दं. २०. भंते ! इन १. वेदना समुद्घात से, २. कषाय समुद्घात से, ३. मारणान्तिक समुद्घात से, ४. वैक्रियसमुद्घात से, ५. तैजस्समुद्घात से समवहत और ६. असमवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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