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________________ १४६२ उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। प. दं. २३. जोइसियाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। प. १. दं. २४. सोहम्मकप्पे देवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। प. २. ईसाणेकप्पे देवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। प. ३. सणंकुमारदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं नव राइंदियाई, वीसा य मुहुत्ता। प. ४. माहिंददेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस राइंदिया, दस मुहुत्ता। प. ५. बंभलोयदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अद्धतेवीसं राइंदियाई। प. ६. लतगदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं पणयालीसं राइंदियाई। प. ७. महासुक्कदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असीतिराइंदियाई। प. ८. सहस्सारदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं राइदियसयं। प. ९.आणयदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा। प. १०. पाणयदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? द्रव्यानुयोग-(२) उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट चौवीस मुहूर्त तक। प्र. द. २३.भंते ! ज्योतिष्क देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट चौवीस मुहूर्त तक। प्र. १.दं.२४. भंते ! सौधर्मकल्प में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, ___उत्कृष्ट चौवीस मुहूर्त तक। प्र. २. भंते ! ईशानकल्प में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट चौवीस मुहूर्त तक। प्र. ३. भंते ! सनत्कुमार देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट बीस मुहूर्त सहित नौ रात्रि दिन तक, प्र. ४.भंते ! माहेन्द्र देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट दस मुहूर्त सहित बारह रात्रि दिन तक, प्र. ५. भंते ! ब्रह्मलोक के देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट साढ़े बाईस रात्रिदिन तक। प्र. ६. भंते ! लान्तक देव कितने काल तक उपपात से विरहित ___ कहे गए हैं ? उ. गौतम !जघन्य एक समय, उत्कृष्ट पैंतालीस रात्रिदिन तक। प्र. ७. भंते ! महाशुक्र देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अस्सी रात्रिदिन तक। प्र. ८.भंते ! सहस्रार देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट सौ रात्रिदिन तक। प्र. ९. भंते ! आनतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं? उ. गौतम ! जघन्य एक समय, उत्कृष्ट संख्यात मास तक। प्र. १०. भंते ! प्राणतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे हैं?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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