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________________ वुक्कंति अध्ययन उ. गोयमा ! गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववजंति, नो सम्मुच्छिम-मणुस्सेहिंतो उववज्जति। प. जइ गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति, किं कम्मभूमगेहिंतो उववति? अकम्मभूमगेहिंतो उववज्जति? अंतरदीवगेहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति, नो अकम्मभूमगेहिंतो उववज्जंति, नो अंतरदीवगेहिंतो उववति। प. जइ कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति, किं संखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जति? असंखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! संखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जंति, नो असंखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जंति। प. जइ संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय मणुस्सेहिंतो उववज्जति, किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग- गब्भ वक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति, णो अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति। प. जइ पज्जत्तय - संखेज्जवासाउय - कम्मभूमग - गब्भ वक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति, किं सम्मदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमगेहिंतो उववज्जति? मिच्छदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय कम्मभूमगेहितो उववति? सम्ममिच्छदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्म भूमग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! सम्मदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्म भूमग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो वि उववज्जति, मिच्छदिट्ठि-पज्जत्तएहिंतो वि उववज्जति, णो सम्ममिच्छदिट्ठि-पज्जत्तएहिंतो उववजंति। १४५५ उ. गौतम ! गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किन्तु सम्मूर्छिम मनुष्यों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? अकर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? अन्तर्वीपज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! (वे) कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किन्तु अकर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं, ___ अन्तर्वीपज गर्भज मनुष्यों में से आकर भी उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या संख्यात वर्ष की आयु वालों में से आकर उत्पन्न होते हैं? या असंख्यात वर्ष की आयु वालों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम !(वे) संख्यात वर्ष की आयु वालों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किन्तु असंख्यात वर्ष की आयु वालों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम ! (वे) पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, किन्तु अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? सम्यग्मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! समयग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं, मिथ्यादृष्टि पर्याप्तकों में से आकर भी उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) सम्यग्मिथ्यादृष्टि पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों में से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या (वे) संयत सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? प. जइ सम्मदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववजंति, किं संजयसम्मदिट्ठिहिंतो उववज्जति? असंजयसम्मदिट्ठि-पज्जत्तएहिंतो उववजंति?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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