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________________ १४०० तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ-छ देविसहस्सा परिवारो पन्नत्ताओ। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई छ-छ देविसहस्साइं परियारं विउव्वित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं छत्तीसं देविसहस्सा, सेत्तं तुडिए। प. पभू णं भंते ! धरणे धरणाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए धरणंसि सीहासणंसि तुडिएण सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए? उ. अज्जो ! णो इणठे समठे, सेसं तं चेव जाव नो चेवणं मेहुणवत्तियं। प. धरणस्स णं भन्ते ! नागकुमारिंदस्स कालवालस्स ___लोगपालस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा १.असोगा,२.विमला,३.सुप्पभा, ४. सुदंसणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवी सहस्सं परिवारो पण्णत्तो अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं। द्रव्यानुयोग-(२)) उनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी का छः हजार देवियों का परिवार कहा गया है और वे प्रत्येक देवियां अन्य छह-छह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा करने में समर्थ हैं। इस प्रकार पूर्वापर सब मिलाकर छत्तीस हजार देवियों का यह त्रुटिक (अन्तःपुर) कहा गया है। प्र. भन्ते ! धरणेन्द्र धरणा नामक राजधानी की सुधर्मा सभा में धरण सिंहासन पर बैठकर अंतःपुर के साथ दिव्य भोगोपभोगों को भोगने में समर्थ है? उ. हे आर्यों ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, शेष सब कथन मैथुनवृत्ति ___ से भोगने में समर्थ नहीं है पर्यन्त पूर्ववत् कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! नागकुमारेन्द्र धरण के लोकपाल कालवाल नामक महाराज की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं? उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. अशोका, २. विमला, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना। इनमें से एक-एक देवी का एक हजार देवियों परिवार कहा गया है। शेष वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल के समान समझना चाहिए। इसी प्रकार (धरणेन्द्र के) शेष तीन लोकपालों के विषय में भी कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! भूतानन्द की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? उ. हे आर्यों ! छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. रूपा, २. रूपांशा, ३. सुरूपा, ४. रूपकावली, ५. रूपकान्ता, ६. रूपप्रभा। शेष समस्त वर्णन धरणेन्द्र के समान जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! भूतानंद के लोकपाल नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज नागचित्त महाराज के कितनी अग्रमहषियां कही गई हैं ? एवं सेसाणं तिण्ह विलोगपालाणं। प. भूयाणंदस्स णं भन्ते ! कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? उ. अज्जो !छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा १. रूया, २. रूयंसा, ३. सुरूया, ४. रूयणावई, ५.रूयकंता,६.रूयप्पभा। अवसेसं जहाधरणस्स। प. भूयाणंदस्स णं भन्ते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो नागचित्तस्स लोगपालस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ? उ. अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा १.सुणंदा,२.सुभद्दा,३.सुजाया,४.सुमणा। अवसेसं जहा चमर लोगपालाणं। एवं सेसाणं तिण्ह विलोगपालाणं। जे दाहिणिल्ला इंदा तेसिं जहा धरणस्स। लोगपालाण वि तेसिं जहा धरणलोगपालाणं। उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयाणंदस्स, लोगपालाण वि तेसिं जहा भूयाणंदस्स लोगपालाणं। उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. सुनन्दा, २. सुभद्रा, ३. सुजाता, ४. सुमना। शेष वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार शेष तीन लोकपालों का वर्णन भी (चमरेन्द्र के शेष तीन लोकपालों के समान) जानना चाहिए। जो दक्षिणदिशावर्ती इन्द्र हैं, उनका कथन धरणेन्द्र के समान तथा उनके लोकपालों का कथन धरणेन्द्र के लोकपालों के समान जानना चाहिए। उत्तरदिशावर्ती इन्द्रों का कथन भूतानन्द के समान तथा उनके लोकपालों का कथन भी भूतानन्द के लोकपालों के समान जानना चाहिए। विशेष-सब इन्द्रों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के समान जानना चाहिए। उनके परिवार का वर्णन मोक उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिए। सभी लोकपालों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम लोकपालों के नाम के सदृश जानना चाहिए तथा उनके परिवार का वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के परिवार के वर्णन के समान जानना चाहिए। णवर-इंदाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहासणाणि य सरिसणामगाणि। परियारोजहा मोउद्देसए। लोगपालाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहासणाणि य सरिसनामगाणि परियारोजहा चमरलोगपालाणं। -विया.स.१०, उ.५, सु.१-१८
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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