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________________ देव गति अध्ययन २१. वंतरिंदाणं अग्गमहिसी संखा परूवणं प. कालस्स णं भंते ! पिसाइदस्स पिसायरण्णो कह अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. कमला, २. कमलप्पभा, ३. उप्पला, ४. सुदंसणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देविसहस् सेसं जहा चमरलोगपालाणं परिवारो तहेव । णवर कालाए रायहाणीए कालंसि सीहासणसि । सेसं तं चेव एवं महाकालस्स वि । प. सुरूवरस णं भन्ते ! भूइंदस्स भूयरन्नो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. रूपवती २. बहुरूपा, ३. सुरूपा, ४. सुभगा । सेसं जहा कालस्स, एवं पडियगस्स वि प. पुण्णभहस्स णं भन्ते ! जक्विंदस्स कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. पुण्णा, २ . बहुपुत्तिया, ३ . उत्तमा, ४. तारया । सेसं जहा कालस्स एवं माणिभहस्स वि प. भीमस्स णं भन्ते रक्खसिंदस्स कह अग्गमडिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. पउमा, २. पउमावती, ३. कणगा, ४. रयणप्पभा । से जहा कालस्स । एवं महाभीमस्स वि। प. किन्नररसणं भंते कटु अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. वडेंसा, २. केतुमती, ३. रतिसेणा, ४. रतिप्पिया । सेस तं चैव । एवं किंपुरिसस्स वि । प. सप्पुरिसस्स णं भंते ! कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. अग्जो ! चत्तारि अग्गमडिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. रोहिणी, २. नवमिया, ३. हिरी, ४. पुष्फवती। सेसं तं चैव । एवं महापुरिसस्स वि प. अतिकायस्स णं भंते ! कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१. भुवगा, २. भुयगवती, ३. महाकच्छा, ४. फुडा | १४०१ २१. व्यंतरेन्द्रों की अग्रमहिषियों की संख्या का प्ररूपणप्र. भन्ते ! पिशाचेन्द्र पिशाचराज काल की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई है? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. कमला, २. कमलप्रभा ३. उत्पला, ४. सुदर्शना । इनमें से प्रत्येक देवी के एक-एक हजार देवियों का परिवार है। शेष समग्र वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान परिवार सहित कहना चाहिए। विशेष- इनके काला नाम की राजधानी और काल नामक सिंहासन है, शेष सब वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार पिशाचेन्द्र महाकाल का कथन भी करना चाहिए। प्र. भन्ते ! भूतेन्द्र भूतराज सुरूप की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा१. रूपवती, २. बहुरूपा, ३. सुरूपा, ४. सुभगा । शेष सब कथन काल के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार प्रतिरूपेन्द्र के विषय में भी जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! यक्षेन्द्र यक्षराज पूर्णभद्र की कितनी अग्रमहिधियों कही गई हैं? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा१. पूर्णा, २ . बहुपुत्रिका, ३. उत्तमा, ४. तारका। शेष समग्र वर्णन कालेन्द्र के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार माणिभद्र (यक्षेन्द्र) के विषय में भी जान लेना चाहिए। प्र. भन्ते राक्षसेन्द्र भीम के कितनी अग्रमहिषियों कही गई है? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. पद्मा, २. पद्मावती, ३. कनका, ४. रत्नप्रभा । शेष सब वर्णन कालेन्द्र के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार महाभीम (राक्षसेन्द्र) के विषय में भी जान लेना चाहिए। प्र. भन्ते ! किन्नरेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियों कही गई है? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. अवतंसा, २. केतुमती, ३. रतिसेना, ४. रतिप्रिया । शेष वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार किम्युरुवेन्द्र के विषय में कहना चाहिए। प्र. भन्ते सत्पुरुषेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियों कही गई है? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. रोहिणी, २. नवमिका, ३. ही, ४. पुष्पवती । शेष वर्णन काल के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार महापुरुषेन्द्र के विषय में भी समझ लेना चाहिए। प्र. भन्ते अतिकायेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियों कही गई है? उ. हे आर्यों! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. भुजगा, २. भुजगवती, ३. महाकच्छा, ४ . स्फुटा ।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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