SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 660
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देव गति अध्ययन उ. अज्जो ! अवसेसं जहा चमरस्स, णवरं-परियारो जहा सूरियाभस्स। सेसं तं चेव जाव णो चेवणं मेहुणवत्तियं। प. चमरस्स णं भन्ते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो जमस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ जाव पण्णत्ताओ? उ. अज्जो ! एवं चेव। णवरं-जमाए रायहाणीए सेसंजहा सोमस्स। एवं वरुणस्स वि, णवरं-वरुणाए रायहाणीए। एवं वेसमणस्स वि, णवर-वेसमणाए रायहाणीए सेसं तं चेव जाव णो चेवण मेहुणवत्तियं। प. बलिस्स णं भंते ! वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो कइ अग्गमहिसीओ जाव पन्नताओ? उ. अज्जो ! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा १. सुंभा, २, निसुंभा, ३. रंभा, ४. निरंभा, ५. मयणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठऽट्ठ १३९९ उ. हे आर्यों ! जिस प्रकार असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर क सम्बन्ध में कहा गया है उसी प्रकार यहां भी जानना चाहिए। विशेष-इसका परिवार राजप्रश्नीय सूत्र में वर्णित सूर्याभदेव के परिवार के समान जानना चाहिए। शेष सब वर्णन वह सोमा राजधानी की सुधर्मा सभा में मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है पर्यन्त पूर्ववत् जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर के लोकपाल यम महाराज की कितनी अग्रमहिषियाँ आदि कही गई है? उ. हे आर्यों ! पूर्ववत् अग्रमहिषियाँ आदि जाननी चाहिए। विशेष-यम लोकपाल की राजधानी यमा है। शेष सब वर्णन सोम महाराज के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार (लोकपाल) वरुण महाराज का भी कथन करना चाहिए। विशेष-वरुण महाराज की राजधानी का नाम वरुणा है, (शेष सब वर्णन पूर्ववत् समझना चाहिए।) इसी प्रकार (लोकपाल) वैश्रमण महाराज के विषय में भी जानना चाहिए। विशेष-वैश्रमण की राजधानी वैश्रमणा है। शेष सब वर्णन वे वहाँ मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है पर्यन्त पूर्ववत् कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बली की कितनी अग्रमहिषियाँ आदि कही गई हैं? उ. हे आर्यो ! पाँच अग्रमहिषियों कही गई है, यथा १. शुम्भा, २. निशुम्भा, ३. रम्भा, ४. निरम्भा, ५. मदना। इनमें से प्रत्येक देवी के आठ-आठ हजार देवियों का परिवार है। इत्यादि शेष समग्र वर्णन चमरेन्द्र के समान जानना चाहिए। विशेष-बलीन्द्र की राजधानी बलिचंचा है और परिवार का वर्णन मौक उद्देशक के समान है। शेष सब वर्णन मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है पर्यन्त पूर्ववत् जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बलि के लोकपाल सोम महाराज की कितनी अग्रमहिषियाँ आदि कही गई है? उ. हे आर्यों ! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा १. मेनका, २. सुभद्रा, ३. विजया, ४. अशनी। इनका एक-एक देवी का परिवार एक हजार देवियों का है आदि का समग्र वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल सोम के समान जानना चाहिए और लोकपाल वैश्रमण पर्यन्त का भी सारा वर्णन उसी प्रकार कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की कितनी ____ अग्रमहिषियाँ यावत् कही गई हैं ? उ. हे आर्यों ! धरणेन्द्र की छह अग्रमहिषियाँ कही गई है, यथा १. अला, २. मक्का, ३. सतारा, ४. सौदामिनी, ५. इन्द्रा, ६. घनविद्युत्। सेसं जहा चमरस्स णवरं-बलिचंचाए रायहाणीए परियारो जहा मोउद्देसए। सेस तं चेव जाव नो चेवणं मेहुणवत्तियं। प. बलिस्स णं भंते ! वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? उ. अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ,तं जहा १.मीणगा,२.सुभद्दा,३.विजया, ४.असणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो। सेसं जहा चमरसोमस्स एवं जाव वेसमणस्स। प. धरण्णस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कइ अग्गमहिसीओ जाव पन्नत्ताओ? उ. अज्जो !छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा १.अंला,२. मक्का, ३. सतेरा, ४. सोयामणी, ५. इंदा, ६.घणविज्जुया।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy