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________________ १३१० ३. पराजिणामीतेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवइ । (३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. पराजिणिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. पराजिणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. पराजिणिस्सामीतेगे णोसुमणे णोदुम्मणे भवइ, (४) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अपराजिणित्ता णामेगे सुमणे भवइ. २. अपराजिणित्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. अपराजिणित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ। (५) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. ण पराजिणामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण पराजिणामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण पराजिणामीतेगे गणोसुमणे णोदुम्मणे भवइ । (६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. ण पराजिणिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २ ण पराजिणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ. ३. ण पराजिणिस्सामीतेगे णोसुमणे- गोदुम्मणे भवइ । - ठाणं अ. ३. उ. २, सु. १६८ (९२-९७ ) १८. सवण विवक्खया पुरिसाणं सुमणस्साइ तिविहत्त परूवणं (१) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. सदं सुणेत्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. सदं सुणेत्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. सद्धं सुणेत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ । (२) ताओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. सदं सुणामी तेगे सुमणे भवइ. २. सदं सुणामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. सर्द सुणामीतेगे णोसुमणे - गोदुम्मणे भवइ । (३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. सदं सुणिस्सामीतेगे सुमणे भवइ. २. सदं सुणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. सद्धं सुणिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ । (४) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. सर्द असुणेत्ता णामेगे सुमणे भवइ. २. सद्धं असुणेत्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. सद्द असुणेला णायेगे णोसुमणे णोदुम्मणे भवइ । द्रव्यानुयोग - ( २ ) ३. कुछ पुरुष पराजित करता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। 'तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा (३) पुरुष १. कुछ पुरुष पराजित करूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष पराजित करूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष पराजित करूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (४) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष पराजित नहीं करने पर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष पराजित नहीं करने पर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष पराजित नहीं करने पर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (५) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष पराजित नहीं करता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं. २. कुछ पुरुष पराजित नहीं करता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष पराजित नहीं करता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं। और न दुर्मनस्क होते हैं। (६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष पराजित नहीं करूंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष पराजित नहीं करूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष पराजित नहीं करूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। १८. श्रवण की विवक्षा से पुरुषों के सुमनस्कादि त्रिविधत्व का प्ररूपण (१) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष शब्द सुनकर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष शब्द सुनकर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष शब्द सुनकर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (२) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष शब्द सुनता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष शब्द सुनता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष शब्द सुनता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (३) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष शब्द सुनूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष शब्द सुनूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष शब्द सुनूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (४) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष शब्द नहीं सुनकर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष शब्द नहीं सुनकर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष शब्द नहीं सुनकर न सुमनस्क होते हैं और दुर्मनस्क होते हैं।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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