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६९.जोइसियदेव-पुरिसा संखेज्जगुणा, ७०.जोइसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ७१.खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ७२.थलयर-पंचेंदिय तिरिक्खजोणिय नपुंसगा संखेज्जगुणा, ७३. जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा संखेज्जगुणा, ७४. चउरिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ७५. तेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ७६. बेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ७७. तेउक्काइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ७८. पुढविक्काइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ७९.आउक्काइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ८०.वाउक्काइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ८१.वणस्सइकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा अणंतगुणा।
-जीवा. प.२, सु. ६२ (१-९)
द्रव्यानुयोग-(२) ६९. (उनसे) ज्योतिष्क देवपुरुष संख्यातगुणे हैं, ७०.(उनसे) ज्योतिष्क देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ७१. (उनसे) ज्योतिष्क खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ७२. (उनसे) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ७३. (उनसे) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ७४.(उनसे) चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं, ७५. (उनसे) त्रीन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं, ७६. (उनसे) द्वीन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं, ७७. (उनसे) तेजस्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ७८. (उनसे) पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं, ७९. (उनसे) अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं, ८०. (उनसे) वायुकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं, ८१.(उनसे) वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक अनन्तगुणे हैं।
मेहुण-परियारणा-संवास परूवणं ११. मेहुणस्स भेय परूवणंएगे मेहुणे
-ठाण.अ.१,सु.३९(१) तिविहे मेहुणे पण्णत्ते,तं जहा१.दिव्वे,२. माणुस्सए,३.तिरिक्खजोणिए। तओ मेहुणं गच्छंति,तं जहा१. देवा, २. मणुस्सा, ३.तिरिक्खजोणिया। तओ मेहुणं सेवंति,तं जहा१.इत्थी,२.पुरिसा, ३. नपुंसगा।
-ठाणं. अ.३,उ.१,सु.१३१ १२. देवेसु परियारणा परूवणं
प. देवा णं भंते !१.किं सदेवीया सपरियारा,
मैथुन परिचारणा और संवास का प्ररूपण ११. मैथुन के भेदों का प्ररूपण
मैथुन (संग्रहनय की अपेक्षा से) एक है। मैथुन तीन प्रकार का कहा गया है, यथा१. दिव्य, २. मानुष्य,३.तिर्यक्योनिक तीन मैथुन करते हैं यथा१. देव, २. मनुष्य, ३.तिर्यञ्च। तीन मैथुन का सेवन करते हैं, यथा१. स्त्री, २. पुरुष, ३. नपुंसक।
२. सदेवीया अपरियारा, ३. अदेविया सपरियारा, ४. अदेवीया अपरियारा?
१२. देवों में मैथुन प्रवृत्ति की प्ररूपणाप्र. भंते ! क्या देव-१.देवियों सहित और परिचारणायुक्त मैथुन
प्रवृत्ति वाले होते हैं? २. देव, देवियों वाले हैं और मैथुन प्रवृत्ति वाले नहीं है? ३. देव, देवियों वाले नहीं हैं और मैथुन प्रवृत्ति वाले हैं ? ४. देव, देवियों वाले भी नहीं हैं और मैथुन प्रवृत्ति वाले भी
नहीं हैं? उ. गौतम ! १. कुछ देव देवियों वाले भी हैं और मैथुन प्रवृत्ति वाले
भी हैं, २. कुछ देव देवियों वाले नहीं हैं किन्तु मैथुन प्रवृत्ति वाले हैं,
उ. गोयमा !१.अत्यंगइया देवा सदेवीया सपरियारा,
२. अत्थेगइया देवा अदेवीया सपरियारा,