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________________ १०६० द्रव्यानुयोग-(२) पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक जलचर, स्थलचर, खेचर पुरुषों, पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जलचर, स्थलचर, खेचर नपुंसकों, एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों के पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, द्वीन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, त्रीन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों के जलचरों, स्थलचरों, खेचरों, कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक, अन्त:पज मनुष्य स्त्रियों, कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक, अन्तर्वीपज मनुष्य पुरुषों, तिरिक्खजोणियपुरिसाणं-जलयराणं,थलयराणं, खहयराणं, तिरिक्खजोणिय नपुंसगाणं-जलयराणं, थलयराणं खहयराणं, एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं-पुढविक्काइयएगिदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, आउक्काइयएगिदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं जाव वणस्सइकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, बेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, तेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, चउरिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं-जलयराणं, थलयराणं, खहयराणं, मणुस्सित्थीणं-कम्मभूमियाणं,अकम्मभूमियाणं, अंतरदीवियाणं, . मणुस्सपुरिसाणं-कम्मभूमगाणं, अकम्मभूमगाणं, अंतरदीवगाणं, मणुस्स-नपुंसगाणं-कम्मभूमगाणं, अकम्मभूमगाणं, अंतरदीवगाणं, देवित्थीणं-भवणवासिणीणं, वाणमंतरीणं, जोइसिणीणं, वेमाणिणीणं, देवपुरिसाणं-भवणवासीणं, वाणमंतराणं, जोइसियाणं, वेमाणियाणं, सोहम्मगाणं जाव गेवेज्जगाणं, अणुत्तरोववाइयाणं नेरइय-नपुंसगाणं-रयण्णप्पभा-पुढवि-नेरइय-नपुंसगाणं जाव अहेसत्तमपुढवि-नेरइय-नपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा! १-२. अंतरदीवग-अकम्मभूमिग-मणुस्सित्थीओ मणुस्सपुरिसा य एएणं दोवि तुल्ला सव्वत्थोवा, ३-६. देवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमग-मणुस्सित्थीओ पुरिसा य एएणं दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा, कर्मभूमिक अकर्मभूमिक अन्तर्वीपज मनुष्य नपुंसकों, भवनवासिनी, वाणव्यंतरी,ज्योतिष्की, वैमानिकी देव स्त्रियों, भवनवासी, वाणव्यंतर, ज्योतिष्क, वैमानिकों के सौधर्म कल्प यावत् ग्रैवेयक एवं अनुत्तरोपपातिक देवपुरुषों, ७-१०.हरिवास-रम्मगवास-अकम्मभूमगमणुस्सित्थीओ पुरिसा य एएणं दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा, नैरयिक नपुंसकों के रलप्रभा पृथ्वी नैरयिक नपुंसकों यावत् अधःसप्तम पृथ्वी नैरयिक नपुंसकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १-२. अन्तर्वीपज अकर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां और मनुष्य पुरुष ये दोनों परस्पर तुल्य हैं और सबसे अल्प हैं, ३-६. (उनसे) देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां और मनुष्य पुरुष ये दोनों परस्पर तुल्य हैं और संख्यातगुणे हैं, ७-१०. (उनसे) हरिवर्ष-रम्यक्वर्ष अकर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां और मनुष्य पुरुष दोनों परस्पर तुल्य हैं और संख्यातगुणे हैं, ११-१४. (उनसे) हेमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां और मनुष्य पुरुष ये दोनों परस्पर तुल्य हैं और संख्यातगुणा हैं, १५-१६. (उनसे) भरत-ऐरवत कर्मभूमिक मनुष्य पुरुष ये दोनों संख्यातगुणा हैं, १७-१८. (उनसे) भरत-ऐरवत कर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां दोनों संख्यातगुणा हैं, १९-२०. (उनसे) पूर्वविदेह-अपरविदेह कर्मभूमिक मनुष्य पुरुष ये दोनों संख्यातगुणा हैं, अब ११-१४. हेमवय-हेरण्णवय, अकम्मभूमग मणुस्सित्थीओ पुरिसा य एएणं दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा, १५-१६. भरहेरवय-कम्मभूमग-मणुस्स-पुरिसा दोवि संखेज्जगुणा, १७-१८. भरहेरवय-कम्मभूमग-मणुस्सित्थीओ दोवि संखेज्जगुणाओ, १९-२०. पुव्वविदेह-अवरविदेह-कम्मभूमग-मणुस्सपुरिसा दोवि संखेज्जगुणा,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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