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________________ वेद अध्ययन ३२-३३. पुव्वविदेह-अवरविदेह-कम्मभूमगमणुस्सनपुंसगा दोवि संखेज्जगुणा । प. (८) एयासि णं भंते ! देवित्थीणं भवणवासिणीणं, वाणमंतरीणं, जोइसिणीणं, वेमाणिणीणं, देवपुरिसाणंभवणवासीणं जाव वेमाणियाणं, सोहम्मगाणं जाव गेवेज्जगाणं, अणुत्तरोववाइयाणं, इयनपुंसगाणं- रयण्णप्पभापुढविणे रइय-नपुंसगाणं जाव अहेसत्तमपुढवि-नेरइय-नपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १ . सव्वत्थोवा अणुत्तरोववाइयदेव - पुरिसा, २-८. उवरिम-गेवेज्जदेव-पुरिसा संखेज्जगुणा तहेव जाव आणए कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा, ९. अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, १०. छट्ठीए पुढवीए नेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ११. सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, १२. महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, १३. पंचमाए पुढवीए नेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, १४. लंतए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, १५. चउत्थीए पुढवीए नेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, १६. बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, १७. तच्चाए पुढवीए नेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, १८. माहिंदे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, १९. सणंकुमारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, २०. दोच्चाए पुढवीए नेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, २१. ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, २२. ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, २३. सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा, २४. सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, २५. भवणवासिदेवपुरिसा असंखेज्जगुणा, २६. भवणवासिदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, २७. इमीसे रयणप्पभापुढवीए नेरइय नपुंसगा असंखेज्जगुणा, २८. वाणमंतरदेव-पुरिसा असंखेज्जगुणा, २९. वाणमंतरदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ३०. जोइसिथदेवपुरिसा संखेज्जगुणा, ३१. जोइसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ। प. (९) एयासि णं भंते! तिरिक्खजोणित्थीणं-जलयरीणं, थलयरीणं, खहयरीणं, १०५९ ३२-३३ ( उनसे) पूर्वविदेह - अपरविदेह कर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक दोनों संख्यातगुणे हैं। प्र. (८) भंते ! इन भवनवासिनी, वाणव्यंतरी, ज्योतिष्की और वैमानिकी देवस्त्रियों में, भवनवासी यावत् वैमानिक देवपुरुषों में, सौधर्म कल्प यावत् ग्रैवेयक एवं अनुत्तरोपपातिक देवों में, नैरयिक नपुंसको में- रत्नप्रभा नैरयिक नपुंसकों यावत् अधः सप्तम पृथ्वी के नैरयिक नपुंसकों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प अनुत्तरोपपातिक देवपुरुष हैं, २-८. ( उनसे) ग्रैवेयक देवपुरुष संख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार यावत् आनत कल्प के देवपुरुष संख्यातगुणे हैं, ९. ( उनसे ) अधः सप्तम पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, १०. ( उनसे ) छठी (नरक) पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ११. ( उनसे) सहस्रार कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, १२. ( उनसे) महाशुक्र कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, १३. (उनसे) पांचवी (नरक) पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, १४. (उनसे) लान्तक कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, १५. (उनसे) चौथी (नरक) पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, १६. (उनसे) ब्रह्म लोक कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, १७. ( उनसे) तीसरी (नरक) पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, १८. (उनसे) माहेन्द्र कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, १९. (उनसे) सनत्कुमार कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, २०. (उनसे) दूसरी (नरक) पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, २१. (उनसे ) ईशान कल्प के देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, २२. (उनसे) ईशानकल्प की देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, २३. (उनसे) सौधर्म कल्प के देवपुरुष संख्यातगुणे हैं, २४. (उनसे) सौधर्म कल्प की देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, २५. (उनसे) भवनवासी देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, २६. (उनसे) भवनवासी देवस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, २७. ( उनसे ) इस रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, २८. (उनसे) वाणव्यंतर देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, २९. (उनसे) वाणव्यंतर देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३०. (उनसे) ज्योतिष्क देव पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३१. ( उनसे) ज्योतिष्क देव स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, प्र. (९) भंते ! इन पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जलचरी, स्थलचरी, खेचरी स्त्रियों,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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