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________________ १०५७ वेद अध्ययन ३. मणुस्सनपुंसगा असंखेज्जगुणा, ४. णेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ५. तिरिक्खजोणिय-पुरिसा असंखेज्जगुणा, ६. तिरिक्खजोणियत्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ७. देवपुरिसा संखेज्जगुणा, ८. देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ९. तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा अणंतगुणा। प. (६) एयासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थीणं १. जलयरीणं, २. थलयरीणं, ३. खहयरीणं, तिरिक्खजोणिय-पुरिसाणं, ४. जलयराणं, ५. थलयराणं, ६. खहयराणं, तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, ७. एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, ८-१२. पुढविकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणियनपुंसगाणं जाव वणस्सइकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, १३.बेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, १४.तेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, १५.चउरिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, १६.जलयराणं, १७.. थलयराणं, १८. खहयराण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा खहयर-तिरिक्खजोणिय पुरिसा, २. खहयर-तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ३. (उनसे) मनुष्य-नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) नैरयिक-नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) तिर्यग्योनिक-पुरुष असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) तिर्यग्योनिक-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ७. (उनसे) देव-पुरुष संख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) देवस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, ९. (उनसे) तिर्यग्योनिक-नपुंसक अनन्तगुणे हैं। प्र. (६) भंते ! इन तिर्यग्योनिक स्त्रियों में १. जलचरी, २. स्थलचरी, ३. खेचरी स्त्रियों तिर्यग्योनिक पुरुषों में . ४. जलचर, ५. स्थलचर, ६. खेचर पुरुषों, तिर्यग्योनिक-नपुंसकों में, ७. एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों के, ८-१२ पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, १३. द्वीन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, १४. त्रीन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, १५. चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक, १६. जलचर, १७. स्थलचर, १८.खेचर नपुंसकों में कौन-किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प खेचर तिर्यग्योनिक-पुरुष हैं, ३. थलयर - पंचेंदिय - तिरिक्खजोणिय - पुरिसा संखेज्जगुणा, ४. थलयर - पंचेंदिय - तिरिक्ख जोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ५. जलयर-तिरिक्खजोणिय-पुरिसा संखेज्जगुणा, २. (उनसे) खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ५. (उनसे) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-पुरुष संख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-स्त्रियां संख्यात ६. जलयर-तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, गुणी हैं, ७. खहयर - पंचेंदिय - तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ८. थलयर - पंचेंदिय - तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा संखेज्जगुणा, ९. जलचर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा संखेज्जगुणा, १०. चउरिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, ७. (उनसे) खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ९. (उनसे) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक संख्यातगुणे हैं, १०. (उनसे) चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, ११.(उनसे) त्रीन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, ११.तेइंदिय-नपुंसगा विसेसाहिया,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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