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________________ १०५६ २२.चउरिंदिय-तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा विसेसाहिया, २३. तेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, २४. बेइंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, २५. तेउक्काइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, २६. पुढविकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, २७.आउक्काइय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा विसेसाहिया, २८.वाउकाइय-तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा विसेसाहिया, २९. वणस्सइकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा अणंतगुणा। -जीवा.प.२, सु. ६० (१-५) (घ) इत्थी-पुरिस-नपुंसगाणं अप्पबहुत्तंप. (१) एयासि णं भंते ! इत्थीणं पुरिसाणं नपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवा पुरिसा, २. इत्थीओ संखेज्जगुणाओ, ३. नपुंसगा अणंतगुणा।। प. (२) एयासि णं भंते ! तिरिक्खजोणिय-इत्थीणं, तिरिक्खजोणिय-पुरिसाणं,तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१.सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिय-पुरिसा, २. तिरिक्खजोणिय-इत्थीओ संखेज्जगुणाओ, ३. तिरिक्खजोणिय-नपुंसगा अणंतगुणा। प. (३) एयासि णं भंते ! मणुस्सित्थीणं, मणुस्सपुरिसाणं, मणुस्सनपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१.सव्वत्थोवा मणुस्सपुरिसा, २. मणुस्सित्थीओ संखेज्जगुणाओ, ३. मणुस्सनपुंसगा असंखेज्जगुणा। प. (४) एयासि णं भंते ! देवित्थीणं, देवपुरिसाणं, णेरइय-नपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१.सव्वत्थोवा णेरइय-नपुंसगा, २. देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, ३. देवित्थीओ संखेज्जगुणाओ। प. (५) एयासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थीणं, तिरिक्खजोणिय-पुरिसाणं, तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, मणुस्सित्थीणं, मणुस्सपुरिसाणं, मणुस्सनपुंसगाणं, देवित्थीणं, देवपुरिसाणं, णेरइयनपुंसगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा मणुस्सपुरिसा, २. मणुस्सित्थीओ संखेज्जगुणाओ, द्रव्यानुयोग-(२) ) २२.(उनसे) चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, २३.(उनसे) त्रीन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, २४.(उनसे) द्वीन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, २५.(उनसे) तेजस्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, २६.(उनसे) पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, २७.(उनसे) अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुसंक विशेषाधिक हैं, २८.(उनसे) वायुकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, २९.(उनसे) वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक- नपुंसक अनन्तगुणे हैं। (घ) स्त्री-पुरुष-नपुंसकों का अल्पबहुत्वप्र. (१) भंते ! इन स्त्रियों में, पुरुषों में और नपुसंकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. पुरुष सबसे अल्प हैं, २. (उनसे) स्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) नपुंसक अनन्तगुणे हैं। प्र. (२) भंते ! इन तिर्यग्योनिक-स्त्रियों में, तिर्यग्योनिक-पुरुषों में और तिर्यग्योनिक नपुंसकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प तिर्यग्योनिक-पुरुष हैं, २. (उनसे) तिर्यग्योनिक-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) तिर्यग्योनिक-नपुंसक अनन्तगुणे हैं। प्र. (३) भंते ! इन मनुष्य-स्त्रियों, मनुष्य-पुरुषों और मनुष्य-नपुंसकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प मनुष्य-पुरुष हैं, २. (उनसे) मनुष्य-स्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) मनुष्य-नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, प्र. (४) भंते ! इन देवस्त्रियों में, देवपुरुषों में और नैरयिक नपुंसकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प नैरयिक-नपुंसक हैं, २. (उनसे) देवपुरुष असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) देव स्त्रियां संख्यातगुणी हैं। प्र. (५) भंते ! इन तिर्यग्योनिक-स्त्रियों, तिर्यग्योनिक-पुरुषों और तिर्यग्योनिक-नपुंसकों में मनुष्य-स्त्रियों, मनुष्य-पुरुषों और मनुष्य-नपुंसकों में, देव-स्त्रियों, देवपुरुषों और नैरयिकनपुंसकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प मनुष्य-पुरुष हैं, २. (उनसे) मनुष्य-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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