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________________ वेद अध्ययन ९. आउक्काइय- एगिंदिय-तिरिक्ख जोणिय नपुंसगा विसेसाहिया १०. वाउक्काइय-एगिंदिय-तिरिक्ख जोणिय नपुंसगा विसेसाहिया, ११. वणस्सइकाइय-एगिंदिय-तिरिक्ख-जोणिय नपुंसगा अनंतगुणा । प. (४) एएसि णं भंते ! मणुस्स नपुंसगाणं, कम्मभूमिनपुंसगाणं, अकम्मभूमि- नपुंसगाणं, अंतरदीवगनपुंसगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १ सव्वत्थोवा अंतरदीवग-अकम्मभूमगमणुस - नपुंसगा, २-११.देवकुरु-उत्तरकुरु- अकम्मभूमगा दोवि संखेज्ज गुणा एवं जाव पुव्वविदेह- अवरविदेहकम्मभूमगा दोवि संखेज्जगुणा । प. (५) एएसि णं भंते ! णेरइय-नपुंसगाणं, रयणप्पभापुढवि नेरइय-नपुंसगाणं जाव असत्तमापुढविणेरइयनपुंसगाणं, तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, एगिंदिय- तिरिक्खजोणियाणं, पुढविकाइय-एगिंदिय-तिरिक्खजोणियनपुंसगाणं जाव वणस्सइकाइय- एगिंदियतिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, बेइंदिय-तेइंदिय- चउरिंदिय-तिरिक्खजोणिय नपुंसगाणं, जलयराणं, पर्चेदिय-तिरिक्खजोणिय-नपुंसगाणं, थलयराणं, खहयराणं, मणुस्स-नपुंसगाणं कम्मभूमिगाणं, अकम्मभूमिगाणं, अंतरदीवगाणय, कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १ . सव्वत्थोवा अहेसत्तमपुढविणेरइय- नपुंसगा, २-६. छट्ठपुढविनेरइय- नपुंसगा असंखेज्जगुणा जाव दोच्चपुढविनेरइय-नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ७. अंतरदीवगमणुस्स - नपुंसगा असंखेज्जगुणा, ८-१७. देवकुरु - उत्तरकुरु अकम्मभूमिग- मणुस्सनपुंसगा दोवि संखेज्जगुणा जाव पुव्वविदेह-अवरविदेहकम्मभूमग मणुस्स-नपुंसगा दोवि संखेज्जगुणा, १८. रयणप्पभापुढविणेरइय नपुंसगा असंखेज्जगुणा, - १९. खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा असंखेज्जगुणा, २०. थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा संखेज्जगुणा, २१. जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय - नपुंसगा संखेज्जगुणा, १०५५ ९. ( उनसे ) अष्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, १०. ( उनसे) वायुकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक विशेषाधिक हैं, ११. ( उनसे) वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक- नपुंसक अनन्तगुणे हैं। प्र. (४) भंते ! इन मनुष्य नपुंसकों में से कर्मभूमि के नपुंसकों, अकर्मभूमि के नपुंसकों, अन्तद्वपज के नपुंसकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. अन्तद्वीपों के अकर्मभूमिक मनुष्य-नपुंसक सबसे अल्प हैं, २-११ ( उनसे ) देवकुरु- उत्तरकुरु के अकर्मभूमिक मनुष्य-नपुंसक दोनों संख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार यावत् पूर्व विदेह - अपरविदेह के कर्मभूमिक मनुष्य-नपुंसक दोनों संख्यातगुणे हैं। प्र. (५) भंते ! इन नैरयिक-नपुंसकों में से रत्नप्रभा - पृथ्वी के अधः सप्तम नैरयिकों-नपुंसकों यावत् पृथ्वी के नैरयिक-नपुंसकों, तिर्यग्योनिक - नपुंसकों में से एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसकों के पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसकों यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों, पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक- नपुंसकों में जलचर स्थलचर खेचर नपुंसकों, मनुष्य-नपुंसकों में कर्मभूमिकों अकर्मभूमिकों और अन्तद्वीपकों में से कौन - किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १ अधः सप्तम पृथ्वी के नैरयिक-नपुंसक सबसे अल्प हैं, २-६ (उनसे) छठी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं यावत् दूसरी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ७. ( उनसे ) अन्तद्वीपों के मनुष्य नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, ८-१७. ( उनसे ) देवकुरु- उत्तरकुरु के अकर्मभूमिक मनुष्यनपुंसक दोनों संख्यातगुणे हैं यावत् पूर्व विदेह अपर- विदेह के कर्मभूमिक मनुष्य-नपुंसक दोनों संख्यातगुणे हैं, १८. ( उनसे ) रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक-नपुंसक असंख्यातगुणे हैं, १९. (उनसे) खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक असंख्यात गुणे हैं, २०. ( उनसे) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक संख्यातगुणे हैं, पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक-नपुंसक २१. ( उनसे) जलचर संख्यातगुणे हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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