SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०५२ द्रव्यानुयोग-(२) २. (उनसे) स्थलचरी तिर्यग्योनिक-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) जलचरी तिर्यग्योनिक-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं। प्र. ३. भंते ! इन कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तर्वीपज मनुष्य-स्त्रियों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? २. थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, ३. जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ। प. (३) एयासि णं भंते ! मणुस्सित्थियाणं कम्मभूमियाणं, अकम्मभूमियाणं, अंतरदीवियाण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! १. सव्वत्थोवाओ अंतरदीवग-अकम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ, २-३.देवकुरु-उत्तरकुरुअकम्मभूमिग- मणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, ४-५.हरिवास-रम्मगवास-अकम्भूमिग- मणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, ६-७. हेमवए-हेरण्णवए-अकम्मभूमिग- मणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, ८-९.भरहेरवय - कम्मभूमिग- मणुस्सित्थियाओ दोवि संखेज्जगुणाओ, १०-११. पुव्वविदेह - अवरविदेह - कम्मभूमिग मणुस्सित्थियाओ दोवि संखेज्जगुणाओ। प. (४) एयासि णं भंते ! देवित्थियाणं,१.भवणवासिणीणं, २. वाणमंतरीणं, ३. जोइसिणीणं, ४. वेमाणिणीण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१.सव्वत्थोवाओ वेमाणियदेवित्थियाओ, २. भवणवासि-देवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, ३. वाणमंतर-देवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, ४. जोइसिय-देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ। प. (५) एयासि णं भंते ! तिरिक्ख-जोणित्थियाणं १. जलयरीणं, २. थलयरीणं, ३. खहयरीणं मणुस्सित्थियाणं,४. कम्मभूमियाणं,५.अकम्मभूमियाणं, ६. अंतरदीवियाणं देवित्थियाणं, ७. भवणवासिणीणं, ८. वाणमंतरीणं, ९.जोइसिणीणं, १०. वेमाणिणीण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवाओ अंतरदीवग-अकम्मभूमिग मणुस्सिस्थियाओ, २-३. देवकुरु - उत्तरकुरु - अकम्मभूमिग_मणुस्सित्थियाओ दोवितुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, ४-५. हरिवास - रम्मगवास - अकम्मभूमिग मणुस्सित्थिया ओदोवि तुल्लाओ संज्ज्जगुणाओ, ६-७. हेमवए - हेरण्णवए - अकम्मभूमिग मणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, ८-९. भरहेरवए-कम्मभूमिग-मणुस्सित्थियाओ दोवि संखेज्जगुणाओ, १०-११. पुव्वविदेह - अवरविदेह - कम्मभूमिग मणुस्सित्थियाओदोवि संखेज्जगुणाओ, १२.वेमाणिय-देवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, १३. भवणवासि-देवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, १४.खहयर-तिरिक्खजोणित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, उ. गौतम ! १. अन्तीपज अकर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां सबसे अल्प हैं, २-३. (उनसे) देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां __ संख्यातगुणी हैं और दोनों परस्पर तुल्य हैं, ४-५. (उनसे) हरिवर्ष रम्यक्वर्ष अकर्मभूमिक मनुष्य- स्त्रियां __ संख्यातगुणी हैं और दोनों परस्पर तुल्य हैं, ६-७.(उनसे) हैमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमिक मनुष्य- स्त्रियां संख्यातगुणी हैं और दोनों परस्पर तुल्य हैं। ८.९. (उनसे) भरत-ऐरवत कर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां दोनों संख्यातगुणी हैं। १०-११. (उनसे) पूर्वविदेह-अपरविदेह कर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां दोनों संख्यातगुणी हैं। प्र. ४. भंते ! इन १. भवनवासी, २. वाणव्यंतर, ३.ज्योतिष्क और ४. वैमानिक देवस्त्रियों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प वैमानिक देव-स्त्रियां हैं, २. (उनसे) भवनवासी देवस्त्रियां असंख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) वाणव्यंतर देव-स्त्रियां असंख्यातगुणी हैं, ४. (उनसे) ज्योतिष्क देव-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं। प्र. ५. भंते ! इन तिर्यग्योनिक १. जलचरी, २. स्थलचरी, ३. खेचरी स्त्रियों, ४. कर्मभूमिक, ५. अकर्मभूमिक, ६. अन्तर्दीपज मनुष्य-स्त्रियों, ७. भवनवासिनी, ८. वाणव्यंतरी, ९. ज्योतिष्की और १०. वैमानिकी देव-स्त्रियों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. अन्तर्वीपज-अकर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां सबसे अल्प हैं, २-३. (उनसे) देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं और दोनों परस्पर तुल्य हैं, ४-५.(उनसे) हरिवर्ष-रम्यक्वर्ष अकर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां __ संख्यातगुणी हैं और दोनों परस्पर तुल्य हैं, ६-७. (उनसे) हैमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां संख्यातगुणी हैं और दोनों परस्पर तुल्य हैं, ८-९. (उनसे) भरत-ऐरवत कर्मभूमिक मनुष्य-स्त्रियां दोनों __ संख्यातगुणी हैं। १०-११. (उनसे) पूर्वविदेह-अपरविदेह कर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां दोनों संख्यातगुणी हैं। १२.(उनसे) वैमानिकी देव-स्त्रियां असंख्यातगुणी हैं, १३. (उनसे) भवनवासिनी देव-स्त्रियां असंख्यातगुणी हैं, १४. (उनसे) खेचरी तिर्यग्योनिक-स्त्रियां असंख्यातगुणी हैं,
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy