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________________ वेद अध्ययन बेइंदियाईणं जाव खहयराणं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। मणुस्सनपुंसगस्स खेत्तं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। धम्मचरणं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अणंत कालं जाव अवड्ढपोग्गलपरियट देसूणं। एवं कम्मभूमगस्स वि भरहेरवयस्स पुव्यविदेह अवरविदेहगस्स वि। प. अकम्मभूमगमणुस्सनपुंसगस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ? गोयमा ! जम्मणं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। संहरणं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। एवं जाव अंतरदीवग ति। -जीवा. पडि. २, सु. ५९(३) १०५१ द्वीन्द्रियादिक जीवों से (पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक) खेचरों पर्यन्त अन्तर काल जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट वनस्पति काल है। मनुष्य नपुंसकों का अन्तर काल क्षेत्र की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। धर्माचरण की अपेक्षा जघन्य एक समय है और उत्कृष्ट अनन्त काल यावत् कुछ कम अपार्धपुद्गल परावर्तन काल प्रमाण है। कर्मभूमिक भरत-ऐरवत-पूर्वविदेह-अपरविदेह के मनुष्य नपुंसकों का अन्तर काल भी इसी प्रकार है। प्र. भंते ! अकर्मभूमि के मनुष्य नपुंसकों का अन्तर काल कितना है? उ. गौतम ! जन्म की अपेक्षा अन्तर काल जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट वनस्पति काल है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। इसी प्रकार अन्तर्वीपक तक के मनुष्य नपुंसकों का अन्तर काल जानना चाहिए। प्र. भंते ! अवेदक का अन्तर काल कितना है? उ. गौतम ! सादि अपर्यवसित का अन्तर काल नहीं है। सादि-सपर्यवसित का अन्तर काल जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अनन्तकाल यावत् देशोन अपार्धपुद्गल परावर्तन काल प्रमाण है। १०. सववेक-अवेदक जीवों का अल्प बहुत्वप्र. भंते । इन १. सवेदक, २. स्त्रीवेदक, ३. पुरुषवेदक, ४. नपुंसकयेदक और ५. अवेदक जीवों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. पुरुषवेदक जीव सबसे अल्प हैं, २. (उनसे) स्त्रीवेदक संख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) अवेदक अनन्तगुणे हैं, ४. (उनसे) नपुंसक वेदक अनन्तगुणे हैं, ५. (उनसे) सवेदक विशेषाधिक हैं। ११.(क) स्त्रियों का अल्पबहुत्वप्र. १. भंते ! इन १.तिर्यग्योनिक-स्त्रियों में, २. मनुष्य-स्त्रियों में और ३. देवस्त्रियों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक प. अवेयगस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतर होइ? उ. गोयमा ! साइयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, साइयस्स सपज्जवसियस्स जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्ढं-पोग्गलपरियट्ट देसूणं -जीवा. पडि.९, सु. २३२ १०. सवेयग-अवेयग जीवाणं अप्पबहुत्तंप. एएसि णं भंते ! जीवाणं १.सवेयगाणं,२. इत्थीवेयगाणं, ३.पुरिसवेयगाणं,४. नपुंसगवेयगाणं, ५. अवेयगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेयगा, २. इत्थीवेयगा संखेज्जगुणा, ३. अवेयगा अणंतगुणा, ४. नपुंसगवेयगा अणंतगुणा,२ ५. सवेयगा विसेसाहिया -पण्ण.प.३, सु.२५३, ११.(क) इत्थीणं अप्प बहुत्तंप. (१) एयासि णं भंते ! १. तिरिक्खजोणित्थियाणं, २. मणुस्सित्थियाणं, ३. देवित्थियाण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१.सव्वत्थोवाओ मणुस्सित्थियाओ, २. तिरिक्खजोणित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, ३. देवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ। प. (२) एयासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं, १. जलयरीण, २. थलयरीणं, ३. खहयरीण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा !१. सव्वत्थोवाओ खहयरतिरिक्ख जोणित्थियाओ, १. जीवा. पडि. ९, सु. २४५ २. विया. स. ६, उ. ३, सु. २९ उ. गौतम ! १. सबसे अल्प मनुष्य-स्त्रियां हैं, २. (उनसे) तिर्यग्योनिक-स्त्रियां असंख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) देवस्त्रियां असंख्यातगुणी हैं। प्र. २. भंते ! इन तिर्यग्योनिक १. जलचरी, २. स्थलचरी और ३.खेचरी स्त्रियों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है? उ. गौतम ! १. खेचरी तिर्यग्योनिक-स्त्रियां सबसे अल्प हैं, ३. सव्वत्थोवा अवेयगा, सवेयगा अणंतगुणा। -जीवा. पडि. ९, सु. २३२
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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