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________________ लेश्या अध्ययन एवं कण्हलेस्सट्ठाणा, तेउलेस्सट्ठाणा, पम्हलेस्सट्ठाणा, जहण्णगा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णएहिंतो सुक्कलेस्सट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए उक्कोसा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा णीललेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्ठाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेस्सट्ठाणा, उक्कोसा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा। पएसट्ठयाएसव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्सट्ठाणा पए..याए, जहण्णगा णीललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं जहेव दव्वट्ठयाए तहेव पएसट्ठयाए विभाणियव्यं । दव्वट्ठपएसट्ठयाएसव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए, जहण्णगा णीललेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्ठाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेस्सट्ठाणा - ८९५ । इसी प्रकार, कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या और पद्मलेश्या के जघन्य स्थान क्रमशः असंख्यातगुणे हैं,. (उनसे) शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, द्रव्य की अपेक्षा जघन्य शुक्ललेश्या स्थानों से कापोतलेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) नीललेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या और पद्मलेश्या के उत्कृष्ट स्थान क्रमशः असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। प्रदेशों की अपेक्षा सेसबसे अल्प प्रदेशों की अपेक्षा कापोतलेश्या के जघन्य स्थान हैं, (उनसे) नीललेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार जैसे द्रव्य की अपेक्षा अल्पबहुत्व का कथन किया गया है, वैसे ही प्रदेशों की अपेक्षा से भी अल्पबहुत्व का कथन करना चाहिए। द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा सेकापोतलेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा सबसे अल्प हैं, (उनसे) नीललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या और पद्मलेश्या के जघन्य स्थान क्रमशः असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, द्रव्य की अपेक्षा जघन्य शुक्ललेश्या स्थानों से कापोतलेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) नीललेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या एवं शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, द्रव्य की अपेक्षा उत्कृष्ट शुक्ललेश्या स्थानों से जघन्य कापोतलेश्या के स्थान प्रदेशों की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं, (उनसे) जघन्य नीललेश्या स्थान प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या एवं शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, प्रदेशों की अपेक्षा जघन्य शुक्ललेश्या स्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्या के स्थान प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) उत्कृष्ट नीललेश्या के स्थान प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या एवं शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। जहण्णगा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णएहिंतो सुक्कलेस्सट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए, उक्कोसा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा णीललेस्सट्ठाणा दव्बट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्ठाणा, तेउलेस्सट्ठाणा, पम्हलेस्सट्ठाणा, उक्कोसगा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसएहिंतो सुक्कलेस्सट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए, जहण्णगा काउलेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए अणंतगुणा जहण्णगा णीललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेसट्ठाणा, जहण्णगा सुक्कलेस्सट्ठाणा असंखेज्जगुणा; जहण्णएहिंतो सुक्कलेस्सट्ठाणेहिंतो पएसट्ठयाए उक्कोसा काउलेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसया णीललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेसट्ठाणा, उक्कोसगा सुक्कलेसट्ठाणा पएसठ्ठयाए असंखेज्जगुणा। -पण्ण. प.१७,उ.४,१२४७-१२४९ ५४. लेस्सऽज्झयणस्सणिक्खेबो तम्हा एयाण लेसाणं अणुभागे वियाणिया। अप्पसत्थाओ वज्जित्ता पसत्थाओ अहिडेज्जासि। -उत्त. अ.३४, गा.६१ ५४. लेश्या अध्ययन का उपसंहार अतः लेश्याओं के अनुभाग (विपाक) को जान कर अप्रशस्त लेश्याओं का परित्याग करके प्रशस्त लेश्याओं में अधिष्ठित होना चाहिए।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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