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________________ ८८८ १२. कण्हलेस्सा गब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिया विसेसाहिया, प. १०. एएसि णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं, तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! जहेवणवमं अप्पाबहुगंतहा इमं पि। णवरं-काउलेस्सा तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। एवं एए दस अप्पाबहुगा तिरिक्खजोणियाणं। दं.२१ एवं मणूस्साणं पि अप्पाबहुगा भाणियव्या। णवर-पच्छिमगं १०.अप्पाबहुगंणत्थि। प. १.एएसिणं भंते ! देवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा! १. सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा, २. पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, ३. काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, ४. णीललेस्सा विसेसाहिया, ५. कण्हलेस्सा विसेसाहिया, ६. तेउलेस्सा संखेज्जगुणा। प. २. एएसि णं भंते ! देवीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवाओ देवीओ काउलेस्साओ, २. णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, ३. कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, ४. तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ। प. ३. एएसि णं भंते ! देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा, २. पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, ३. काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, ४. नीललेस्सा विसेसाहिया, ५. कण्हलेस्सा विसेसाहिया, ६. काउलेस्साओ देवीओ संखेज्जगुणाओ, ७. णीललेस्साओ देवीओ विसेसाहियाओ, ८. कण्हलेस्साओ देवीओ विसेसाहियाओ, ९. तेउलेस्सा देवा संखेज्जगुणा, १०. तेउलेस्साओ देवीओ संखेज्जगुणाओ। प. १. एएसि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? द्रव्यानुयोग-(२) १२. (उनसे) कृष्णलेश्या वाले गर्भज तिर्यञ्चयोनिक विशेषाधिक हैं। प्र. १०. भंते ! कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले इन पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों और तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! जैसे नौवां तिर्यञ्चयोनिक सम्बन्धी अल्पबहुत्व कहा वैसे यह दसवां भी समझ लेना चाहिए। विशेष-कापोतलेश्या वाले तिर्यञ्चयोनिक अनन्तगुणे हैं। इस प्रकार ये दस अल्पबहुत्व तिर्यञ्चयोनिकों के कहे गए हैं। द.२१. इसी प्रकार मनुष्यों का भी अल्पबहुत्व कहना चाहिए। विशेष-उनका अंतिम (दसवां) अल्पबहुत्व नहीं है। प्र. १. भंते ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले देव हैं, २. (उनसे) पद्मलेश्या वाले देव असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) कापोतलेश्या वाले देव असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) नीललेश्या वाले देव विशेषाधिक हैं, ५. (उनसे) कृष्णलेश्या वाले देव विशेषाधिक हैं, ६. (उनसे) तेजोलेश्या वाले देव संख्यातगुणे हैं, प्र.२.भंते ! इन कृष्णलेश्या वाली यावत तेजोलेश्या वाली देवियों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. सबसे थोड़ी कापोतलेश्या वाली देवियां हैं, २. (उनसे) नीललेश्या वाली विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) कृष्णलेश्या वाली विशेषाधिक हैं, ४. (उनसे) तेजोलेश्या वाली संख्यातगुणी हैं। प्र. ३. भंते ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों और देवियों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले देव हैं, २. (उनसे) पद्मलेश्या वाले असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) कापोतलेश्या वाले असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ५. (उनसे) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ६. (उनसे) कापोतलेश्या वाली देवियां संख्यातगुणी हैं, ७. (उनसे) नीललेश्या वाली देवियां विशेषाधिक हैं, ८. (उनसे) कृष्णलेश्या वाली देवियां विशेषाधिक हैं, ९. (उनसे) तेजोलेश्या वाले देव संख्यातगुणे हैं, १०. (उनसे) तेजोलेश्या वाली देवियां संख्यातगुणी हैं। प्र. १. भंते ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् तेजोलेश्या वाले भवनवासी देवों में से कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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