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________________ ८८४ उ. गोयमा ! १. सव्यत्योया जीवा सुकलेस्सा, २. पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा, ३. तेउलेस्सा संखेज्जगुणा, ४. अलेस्सा अनंतगुणा, ५. काउलेस्सा अनंतगुणा, ६. णीललेस्सा विसेसाहिया, ७. कण्डलेस्सा विसेसाहिया, ८. सलेस्सा विसेसाहिया । - पण्ण. प. १७, उ. २, सु. ११७० ४८. सलेस्स चउगइयाणं अव्यबहुत प.. एएसि णं भंते ! १. णेरइयाणं कण्हलेस्साणं, नीललेस्साणं, काउलेस्साण य कयरे कपरेहिंतो अचा वा जाय विसेसाहिया या ? उ. गोयमा ! १ सव्वत्थोवा णेरड्या कण्हलेस्सा, २. णीललेस्सा असंखेज्जगुणा, ३. काउलेस्सा असंखेज्जगुणा प. एएसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुकलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अच्या वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया सुकलेस्सा, एवं जहा ओहिया । णवरं - अलेस्सवज्जा । प. एएसि णं भंते ! एगिंदियाणं कण्हलेस्साणं जांव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा एगिंदिया तेउलेस्सा, २. काउलेस्सा अनंतगुणा, ३. णीललेस्सा विसेसाहिया, ४. कण्हलेस्सा विसेसाहिया ३ । प. एएसि णं भंते ! पुढविक्काइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव बिसेसाहिया बा ? उ. गोयमा ! जहा ओहिया एगिंदिया । णवरं - काउलेस्सा असंखेज्जगुणा । एवं आउकाइयाण वि प. एएसि णं भते । १. तैउकाइयाणं कण्हलेस्साणं, २. णीललेस्साण, ३. काउलेस्साण य कपरे कयरेहिंतो अप्पा या जाय विसेसाहिया था ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्योवा तेउक्काइया काउलेस्सा, २. णीललेस्सा विसेसाहिया, १. जीवा. पडि. ९, सु. २५३ २. (क) पण्ण. प. ३, सु. २५५ द्रव्यानुयोग - ( २ ) उ. गौतम ! १. सबसे थोड़े जीव शुक्ललेश्या वाले हैं, २. ( उनसे) पद्मलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे) तेजोलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, ४. ( उनसे) अलेश्यी अनन्तगुणे हैं, ५. ( उनसे ) कापोतलेश्या वाले अनन्तगुणे हैं, ६. ( उनसे) नीललेश्या वाले विशेषाधिक है, ७. उनसे कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ८. ( उनसे) सलेश्यी विशेषाधिक है। ४८. सतेश्य-चार गतियों का अल्पबहुत्व प्र. भंते ! कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या वाले नैरयिकों में कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम १. सबसे थोड़े कृष्णलेश्या वाले नारक हैं, २. ( उनसे ) असंख्यातगुणे नीललेश्या वाले हैं, ३. ( उनसे) असंख्यातगुणे कापोतलेश्या वाले हैं। प्र. भंते! इन कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या वाले तिर्यञ्चयोनिकों में कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! सबसे कम तिर्यञ्चयोनिक शुक्ललेश्या वाले हैं, इसी प्रकार शेष कथन पूर्ववत् औधिक के समान कहना चाहिये। विशेष तिर्यञ्चों में अलेश्वी नहीं हैं। प्र. भंते ! कृष्णलेश्या वाले यावत् तेजोलेश्या वाले एकेन्द्रियों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे कम तेजोलेश्या वाले एकेन्द्रिय हैं, २. ( उनसे ) कापोतलेश्या वाले अनन्तगुणे हैं, ३. ( उनसे) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ४. ( उनसे कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक है। प्र. भंते! कृष्णलेश्या यावत् तेजोलेश्या वाले पृथ्वीकायिकों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! जिस प्रकार समुच्चय एकेन्द्रियों का कथन किया है, उसी प्रकार पृथ्वीकायिकों का कथन करना चाहिए। विशेष- कापोतलेश्या वाले पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार अकापिकों में अल्पबहुत्व समझना चाहिए। प्र. भंते ! इन 9. कृष्णलेश्या वाले, २. नीललेश्या वाले और ३. कापोतलेश्या वाले तेजस्कायिकों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है? उ. गौतम ! १. सबसे कम कापोतलेश्या वाले तेजस्कायिक हैं, २. (उनसे) नीललेश्या वाले विशेषाधिक है. (ख) सव्वत्थोवा अलेस्सा सलेस्सा अनंतगुणा - जीवा. पडि. ९, सु. २३२ ३. विया. स. १७, उ. १२, सु. ३
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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