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________________ लेश्या अध्ययन ८८३ उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई। प. णीललेस्से णं भंते !णीललेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा !जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखेज्जइ भागमब्भहियाई। प. काउलेस्से णं भंते ! काउलेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमभहियाई। प. तेउलेस्से णं भंते ! तेउलेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाई। प. पम्हलेस्से णं भंते ! पम्हलेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त अधिक तेतीस सागरोपम है। प्र. भंते ! नीललेश्या वाला जीव कितने काल तक नीललेश्या वाला रहता है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दस सागरोपम है। प्र. भंते ! कापोतलेश्या वाला जीव कितने काल तक कापोतलेश्या वाला रहता है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागरोपम है। प्र. भंते ! तेजोलेश्यावाला जीव कितने काल तक तेजोलेश्या वाला रहता है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दो सागरोपम। प्र. भंते ! पद्मलेश्या वाला जीव कितने काल तक पद्मलेश्या वाला रहता है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त अधिक दस सागरोपम है। प्र. भंते ! शुक्ललेश्यावाला जीव कितने काल तक शुक्ललेश्या वाला रहता है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त अधिक तेतीस सागरोपम है। प्र. भंते ! अलेश्यी जीव कितने काल तक अलेश्यी रूप में रहता है? उ. गौतम ! सादि-अपर्यवसित काल तक रहता है। उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई प. सुक्कलेस्से णं भंते ! सुक्कलेसे त्ति कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई। प. अलेस्से णं भंते ! अलेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ ? उ. गोयमा ! साइए अपज्जवसिए। -पण्ण. प. १८, सु. १३३५-१३४२ ४६. सलेस्स-अलेस्स जीवाणं अंतर काल परूवणं प. कण्हलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तमब्भहियाई। एवं नीललेसस्स वि, काउलेसस्स वि। ४६. सलेश्य-अलेश्य जीवों के अन्तरकाल का प्ररूपण प्र. भंते ! कृष्णलेश्या वाले जीव का अन्तरकाल कितना है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त से कुछ अधिक तेतीस सागरोपम का है। इसी प्रकार नीललेश्या और कापोतलेश्या वाले जीवों का अन्तरकाल कहना चाहिए। प्र. भंते ! तेजोलेश्या वाले जीव का अन्तरकाल कितना है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। इसी प्रकार पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या वाले जीवों का 'अन्तरकाल कहना चाहिए। प्र. भंते ! अलेश्यी जीव का अन्तरकाल कितना है? उ. गौतम ! सादिअपर्यवसित का अन्तर नहीं है। प. तेउलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहूत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो एवं पम्हलेसस्स वि, सुक्कलेसस्स वि। प. अलेसस्स णं भंते ! अंतरकालओ केवचिर होइ? उ. गोयमा ! साईयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं। -जीवा. पडि. ९, सु. २५३ ४७. सलेस्स-अलेस्स जीवाणं अप्प-बहुत्तंप. एएसि णं भंते ! सलेस्साणं जीवाणं, कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं अलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? १. जीवा. पडि.९, सु.२५३ ४७. सलेश्य-अलेश्य जीवों का अल्पबहुत्वप्र. भंते ! इन सलेश्यी कृष्णलेश्यी यावत् शुक्ललेश्यी और अलेश्यी जीवों में कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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