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________________ लेश्या अध्ययन ३. कण्हलेस्सा विसेसाहिया। एवं वाउक्काइयाण वि। - ८८५ ) ३. (उनसे) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं। इसी प्रकार वायुकायिकों का भी अल्पबहुत्व समझ लेना चाहिए। प्र. भंते! इन कृष्णलेश्या वाले यावत तेजोलेश्या वाले वनस्पति कायिकों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? प. एएसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाय तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव . विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! जहा एगिंदियओहियाण। बेइंदिय, तेइंदिय, चउरिंदियाणं जहा तेउक्काइयाण। प. १. एएसि णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं। णवरं-१. काउलेस्सा असंखेज्जगुणा। उ. गौतम ! जैसे एकेन्द्रिय जीवों का अल्पबहुत्व कहा उसी प्रकार वनस्पतिकायिकों का भी कहना चाहिए। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों का अल्पबहुत्व तेजस्कायिकों के समान है। प्र. १. भंते ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! जैसे औधिक तिर्यञ्चों का अल्पबहुत्व कहा उसी प्रकार पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों का अल्पबहुत्व कहना चाहिए। विशेष-१. कापोतलेश्या वाले पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक असंख्यातगुणे हैं। २. सम्मझिम पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों का अल्पबहुत्व तेजस्कायिकों के समान हैं। ३. गर्भज पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों का अल्पबहुत्व समुच्चय पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों के समान हैं। विशेष-कापोतलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं। ४. इसी प्रकार गर्भज पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों का भी अल्पबहुत्व कहना चाहिए। प्र. ५. भंते ! (कृष्णलेश्या वाले यावत् कापोतलेश्या वाले) सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों और कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? २. सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा तेउक्काइ याणं। ३. गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा ओहि याणं तिरिक्खजोणियाणं। णवरं-काउलेस्सा संखेज्जगुणा। : ४. एवं तिरिक्खजोणियाणीण वि। प. ५. एएसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं (कण्हलेस्साणं जाव काउलेस्साण य) गब्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाय विसेसाहिया वा? उ. गोयमा । १. सव्वत्थोवा गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्ख जोणिया सुक्कलेस्सा, २. पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा, ३. तेउलेस्सा संखेज्जगुणा, ४. काउलेस्सा संखेज्जगुणा, ५. णीललेस्सा विसेसाहिया, ६. कण्हलेस्सा विसेसाहिया, ७. काउलेस्सा सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, ८. णीललेस्सा विसेसाहिया, ९. कण्हलेस्सा विसेसाहिया। प. ६. एएसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गौतम! १. सबसे कम शुक्ललेश्या वाले गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक हैं, २. (उनसे) पद्मलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) तेजोलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) कापोतलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ६..(उनसे) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ७. (उनसे) कापोतलेश्या वाले सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं, ९. (उनसे) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं, प्र. ६.भते । कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों और तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों में से कौन, किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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