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________________ ( ८७८ उ. गोयमा ! णो इणढे समठे। प. ५. अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ६. अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ७. विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? उ. हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ। प. ८.विसुद्धलेस्से णं भंते? अणगारे असमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? उ. हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ। प. ९. विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? उ. हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ। प. १०.विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? द्रव्यानुयोग-(२) उ. गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। प्र. ५. भंते ! अविशुद्धलेश्या वाला अनगार उपयोग सहित या रहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव देवी और अनगार को जानता देखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। प्र. ६. भंते ! अविशुद्धलेश्या वाला अनगार उपयोग सहित या रहित आत्मा से विशुद्धलेश्या वाले देव, देवी और अनगार को जानता देखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। प्र. ७. भंते ! विशुद्धलेश्या वाला अनगार उपयोग रहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्या वाले देव-देवी और अनगार को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता देखता है। प्र. ८. भंते ! विशुद्धलेश्या वाला अनगार उपयोग रहित आत्मा से विशुद्धलेश्या वाले देव-देवी और अनगार को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता देखता है। प्र. ९. भंते ! विशुद्धलेश्या वाला अनगार उपयोग सहित आत्मा से अविशुद्धलेश्या वाले देव-देवी और अनगार को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता देखता है। प्र. १०. भंते ! विशुद्धलेश्या वाला अणगार उपयोग सहित आत्मा से विशुद्धलेश्या वाले देव-देवी और अणगार को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। प्र. ११. भंते ! विशुद्धलेश्या वाला अणगार उपयोग सहित या रहेत आत्मा से अविशुद्ध लेश्या वाले देव-देवी और अणगार को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। प्र. १२. भंते ! विशुद्धलेश्या वाला अणगार उपयोग सहित या रहित आत्मा से विशुद्ध लेश्या वाले देव-देवी और अणगार को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। ३९. अणगार द्वारा स्व-पर कर्मलेश्या का जानना-देखनाप्र. भंते ! अपनी कर्मलेश्या को नहीं जानने देखने वाले भावितात्मा अणगार क्या सरूपी (सशरीर) और कर्मलेश्या सहित जीव को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! भावितात्मा अणगार, जो अपनी कर्मलेश्या को नहीं जानता देखता, वह सशरीर एवं कर्मलेश्या को जानता देखता है। ४०. अविशुद्ध-विशुद्ध लेश्यायुक्त देवों को जानना-देखनाप्र. (१) भंते ! क्या अविशुद्ध लेश्या वाला देव उपयोग रहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव देवी या अन्यतर (दोनों से किसी एक) को जानता-देखता है? उ. हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ। प. ११. विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? उ. हंता,गोयमा ! जाणइ पासइ। प. १२. विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ ? उ. हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ। -जीवा. पडि.३, सु. १०३ ३९. अणगारेण स-पर कम्मलेसस्स जाणण-पासणंप. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ नपासइ,तं पुण जीवं सरूविंसकम्मलेस्सं जाणइ पासइ? उ. हंता, गोयमा ! अणगारे णं भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ न पासइ, तं पुण जीवं सरूविं सकम्मलेस्सं जाणइ पासइ। -विया. स.१४, उ. ९, सु. १ ४०. अविसुद्ध-विसुद्धलेसस्स देवस्स जाणण-पासणंप. १. अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अन्नयरं जाणइ पासइ?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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