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________________ लेश्या अध्ययन उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. २. अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अन्नयरं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ३. अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अन्नयरं जाणइ पासइ? - ८७९ । उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. २. भंते ! क्या अविशुद्ध लेश्या वाला देव उपयोग रहित आत्मा से विशुद्ध लेश्या वाले देव-देवी या अन्यतर को जानता देखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ३. भंते ! क्या अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता देखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ४. भंते ! क्या अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता- देखता उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ४. अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अन्नयरं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ५. अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अन्नयरं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ६. अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयरं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणढे समठे। प. ७. विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयरं जाणइ पासइ? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ५. भंते ! क्या अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित या रहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता-देखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ६. भंते ! क्या अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित या रहित आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता-देखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ७. भंते ! विशुद्ध लेश्या वाला देव उपयोग रहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानतादेखता है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ८. भंते ! विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग रहित आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। प्र. ९. भंते ! विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। प्र. १0. भंते ! विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता-देखता उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ८. विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं विसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयरं जाणइ पासइ? उ. गोयमा ! णो इणठे समठे। प. ९. विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयरं जाणइ पासइ? उ. हंता, गोयमा !जाणइ पासइ। प. १०. विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयरं जाणइ पासइ ? उ. हंता, गोयमा !जाणइ पासइ। प. ११. विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयर जाणइ पासइ? उ. हंता,गोयमा ! जाणइ पासइ। प. १२. विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अण्णयरं जाणइ पासइ? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। प्र. ११. भंते ! विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग सहित या रहित आत्मा से, अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता-देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। प्र. १२. भंते ! विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयोग रहित या सहित आत्मा से, विशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी या अन्यतर को जानता-देखता है? उ. हां, गौतम ! वह जानता-देखता है। उ. हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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