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________________ लेश्या अध्ययन ८५५ । उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या यावत् ४. तेजोलेश्या। प्र. ५ ग. भंते ! साधारण शरीर बादर वनस्पतिकाय में कितनी लेश्याएं कही गई हैं? उ. गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या। प्र. भंते ! द्वीन्द्रिय में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्ण लेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या, इसी प्रकार त्रीन्द्रिय में तीन लेश्याएं होती हैं। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय में भी तीन लेश्याएं होती हैं। प्र. भंते ! सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं? उ. गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २.नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या, प्र. क. भंते ! सम्मच्छिम पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिक जलचरों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या, उ. गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव ४.तेउलेस्सा। प. ५ ग. साहारणसरीरबायरवणस्सइकाइया णं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा१.कण्हलेस्सा,२.नीललेस्सा,३. काउलेस्सा। -जीवा. पडि.१, सु. २०-२१ प. बेइंदिया णं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा १.कण्हलेस्सा,२.नीललेस्सा,३. काउलेस्सा, एवं तेइंदियाण वि। एवं चउरिंदियाण वि। -जीवा. पडि.१, सु.२८-३० प. सम्मुच्छिम पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ। १.कण्हलेस्सा,२.नीललेस्सा,३.काउलेस्सा। -पण्ण. प. १७, उ.२, सु.११६३(२) प. क. सम्मुच्छिम पंचेंदियतिरिक्खजोणिय जलयरा णं भंते! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. कण्हलेस्सा, २. नीललेस्सा, ३. काउलेस्सा, -जीवा. पडि. १,सु.३५ ख. सम्मुच्छिम पंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउप्पय थलयरा जहा जलयराणं। ग. सम्मुच्छिम पंचेंदियतिरिक्खजोणिया परिसप्प थलयराजहा जलयराणं। घ. सम्मुच्छिम-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया खहयरा जहा जलयराणं। -जीवा. पडि.१,सु.३६ प. गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. कण्हलेस्सा जाव ६.सुक्कलेस्सा। -पण्ण. प. १७, उ.२, सु.११६३(३) क. गब्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जलयरा छ लेस्साओ। -जीव. पडि.१,सु.३८ ख. गब्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउप्पय थलयरा जहा जलयराणं। ग. गब्भवक्कंतिय पंचेंदियतिरिक्खजोणिया परिसप्प थलयरा जहा जलयराणं। -जीवा. पडि.१, सु.३९ घ. गब्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया खहयरा जहा जलयराणं। -जीवा. पडि. १,सु.४० एवं तिरिक्खजोणिणीण वि -पण्ण.प.१७,उ.२,सु.११६३(४) ख. सम्मूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक चतुष्पद स्थलचरों में जलचर जीवों के समान तीन लेश्याएँ हैं। ग. सम्मझिम पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक स्थलचर परिसपों में जलचरों के समान तीन लेश्याएं हैं। घ. सम्मूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक खेचर जीवों में जलचरों के समान तीन लेश्याएँ हैं। प्र. भंते ! गर्भव्युत्क्रान्तिक पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! छह लेश्याएँ कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। क. गर्भव्युत्क्रान्तिक पंचेन्द्रियतिबञ्चयोनिक जलचर जीवों में छह लेश्याएं हैं। ख. गर्भव्युत्क्रान्तिक पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक चतुष्पद जीवों में जलचरों के समान छह लेश्याएं हैं। ग. गर्भव्युत्क्रान्तिक पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक परिसर्प ___स्थलचर जीवों में जलचरों के समान छह लेश्याएं हैं। घ. गर्भव्युत्क्रान्तिक पंचेन्द्रियतिय॑ञ्चयोनिक खेचर जीवों में जलचरों के समान छह लेश्याएँ हैं। इसी प्रकार तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों में भी छह लेश्याएं हैं। १. जीवा. पडि. ३, उ. १, सु. ९७ २. अलेस्सा वि-जीवा. पडि. १, सु. ४१
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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