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________________ द्रव्यानुयोग-(२) ३. मनुष्यों में लेश्याएंप्र. भंते ! सम्मूर्छिम मनुष्यों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या, प्र. भंते ! गर्भज मनुष्यों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं? ३. मणुस्सेसु लेस्साओप. सम्मुच्छिममणुस्साणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा,२.नीललेस्सा, ३. काउलेस्सा। प. गब्भवक्कैतियमणुस्साणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव६.सुक्कलेस्सा। मणुस्सीणं एवं चेव। -पण्ण.प.१७, उ.२, सु. ११६४(२-४) प. कम्मभूमयमणूसाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा !छ लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव६.सुक्कलेस्सा, एवं कम्मभूमयमणूसीण वि। उ. गौतम ! छह लेश्याएं कही गई हैं, यथा १.कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। इसी प्रकार (गर्भज) मनुष्य स्त्रियों में भी छह लेश्याएं होती हैं। प. भरहेरवयमणूसाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा!छलेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव ६.सुक्कलेस्सा। एवं मणुस्सीण वि। प. पुव्वविदेह-अवरविदेहकम्मभूमयमणूसाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा !छ लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव ६.सुक्कलेस्सा। एवं मणुसीण वि। प्र. भन्ते ! कर्मभूमिज मनुष्यों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं? उ. गौतम ! छह लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। इसी प्रकार कर्मभूमिज मनुष्यस्त्रियों में भी छह लेश्याएं कहनी चाहिए। प्र. भंते ! भरतक्षेत्र और ऐरवतक्षेत्र के मनुष्यों में कितनी लेश्याएं कही गई है? उ. गौतम ! छह लेश्याएं कही गई हैं, यथा १.कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। इसी प्रकार इनकी मनुष्यस्त्रियों में भी छः लेश्याएं कहनी चाहिए। प्र. भंते ! पूर्वधिदेह और अपरविदेह के कर्मभूमिज मनुष्यों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! छह लेश्याएं कही गई हैं, यथा १.कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। इसी प्रकार इनकी मनुष्यस्त्रियों में भी छह लेश्याएं कहनी चाहिए। प्र. भंते ! अकर्मभूमिज मनुष्यों में कितनी लेश्याएं कही गई है? उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या यावत् ४. तेजोलेश्या। इसी प्रकार अकर्मभूमिज मनुष्यस्त्रियों में भी चार लेश्याएं कहनी चाहिए। इसी प्रकार अन्तर्वीपज मनुष्यों और मनुष्यस्त्रियों में भी चार लेश्याएं कहनी चाहिए। प्र. भंते ! हेमवत और ऐरण्यवत अकर्मभूमिज मनुष्यों और ___ मनुष्यस्त्रियों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या यावत् ४. तेजोलेश्या। प्र. भंते ! हरिवर्ष और रम्यक्वर्ष के अकर्मभूमिज मनुष्यों और मनुष्यस्त्रियों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या यावत् ४. तेजोलेश्या। प. अकम्मभूमयमणूसाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा !चत्तारिलेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव ४.तेउलेस्सा। एवं अकम्मभूमय मणूसीण वि। एवं अंतरदीवय मणुसाणं मणुसीण वि। प. हेमवय-एरण्णवय-अकम्मभूमयमणूसाणं मणुसीण य कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव४.तेउलेस्सा। प. हरिवास-रम्मयवास-अकम्मभूमयमणुस्साणं मणूसीण य कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव४.तेउलेस्सा। १. जीवा. पडि. ३, सु. ९७
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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