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________________ । ८५४ तत्थ णं जे काउलेस्सा ते बहुतरा,जे नीललेस्सा ते थोवा। प. ४. पंकप्पभाए णं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! एगा नीललेस्सा पण्णत्ता। प. ५.धूमप्पभाए णं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! दो लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १. कण्हलेस्सा य, २. नीललेस्सा य। जे बहुतरगा ते नीललेस्सा,जे थोवतरगा ते कण्हलेस्सा। द्रव्यानुयोग-(२) उनमें से जो कापोतलेश्या वाले हैं वे अधिक हैं और नीललेश्या वाले अल्प हैं। प्र. ४. भंते ! पंकप्रभा में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! एक नीललेश्या कही गई है। प्र. ५. भंते ! धूमप्रभा में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! दो लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या। उनमें से नीललेश्या वाले अधिक हैं और कृष्ण-लेश्या वाले अल्प हैं। प्र. ६. भंते ! तम प्रभा में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! एक कृष्णलेश्या कही गई है। ७. अधःसप्तम पृथ्वी में एक परमकृष्णलेश्या है। २. तिर्यञ्चयोनिकों में लेश्याएंप्र. भंते ! तिर्यंचयोनिक जीवों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! छह लेश्याएं कही गई हैं, यथा १.कृष्णलेश्या यावत् ६. शुक्ललेश्या। प्र. भंते ! एकेन्द्रिय जीवों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, १. कृष्णलेश्या यावत् ४. तेजोलेश्या। प्र. १ क.भंते ! सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक जीवों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या। प. ६.तमाए णं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! एगा कण्हलेस्सा पण्णत्ता। ७.अहेसत्तमाए एगा परमकण्हलेस्सा। -जीवा. पडि.३, उ. २, सु.८८(२) २. तिरिक्खजोणिएसु लेस्साओप. तिरिक्खजोणिया णं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा !छ लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १.कण्हलेस्सा जाव ६.सुक्कलेस्सा। प. एगिंदियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा !चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा१.कण्हलेस्सा जाव ४.तेउलेस्सा। -पण्ण.प.१७, उ.२,सु.११५८-११५९ प. १ क. सुहुम-पुढविकाइया णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! तिण्णि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा१.कण्हलेस्सा,२.नीललेस्सा, ३.काउलेस्सा। -जीवा. पडि. १, सु. १३(७) प. ख. बायर-पुढविकाइयाणं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? उ. गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ,तं जहा १. कण्हलेस्सा, २.नीललेस्सा, ३. काऊलेस्सा, ४.तेऊलेस्सा। -जीवा. पडि.१, सु.१५ २. क.सुहुम आउकाइया जहेव सुहुम पुढविकाइयाणं -जीवा. पडि. १, सु.१६ ख.बायर आउकाइया जहेव बायर पुढविकाइयाणं __ -जीवा. पडि.१, सु. १७ ३. क. सुहुम बायर तेउकाइया जहेव सुहम पुढविकाइयाणं। -जीवा. पडि. १, सु. २४-२५ ४. सुहुम बायर वाउकाइया जहा तेउकाइयाणं। -जीवा. पडि.१, सु.२६ ५. क. सुहुम वण्णस्सइकाइयाणं जहेव सुहम पुढविकाइयाणं, -जीवा. पडि.१, सु.१८ प. ५ ख. पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइयाणं भंते ! कइ लेस्साओ पण्णत्ताओ? प्र. ख. भंते ! बादर पृथ्वीकायिक जीवों में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? उ. गौतम ! चार लेश्याएं कही गई हैं, यथा १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या, ४. तेजोलेश्या। २ क. सूक्ष्म-अकाय में सूक्ष्म पृथ्वीकाय के समान तीन लेश्याएं हैं। ख. बादर-अप्काय में बादर पृथ्वीकाय के समान चार लेश्याएं हैं। ३ क. सूक्ष्म-बादर तेउकाय में सूक्ष्म पृथ्वीकाय के समान तीन लेश्याएं हैं। ४. सूक्ष्म-बादर वायुकाय में तेउकाय के समान तीन लेश्याएँ हैं। ५. क.सूक्ष्म वनस्पतिकाय में सूक्ष्म पृथ्वीकाय के समान तीन लेश्याएँ हैं। प्र. ५ ख. भंते ! प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकाय में कितनी लेश्याएं कही गई हैं ? १. विया. स. १७, उ. १२, सु. २
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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