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________________ ज्ञान अध्ययन से तं पाहण्णयाए। प. (६)से किं तं अणादियसिद्धतेणं? उ. अणादियसिद्धतेणं धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासस्थिकाए, जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए, अद्धासमए। सेतं अणादियसिद्धतेणं। प. (७) से किं तं नामेणं? उ. नामेणं पिउपियामहस्स नामेणं उन्नामियए। - ७६१) ये प्रधानपदनिष्पत्रनाम है। प्र. (६) अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम क्या है? उ. अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम का स्वरूप इस प्रकार है धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय, अद्धासमय। ये अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम है। प्र. (७) नामनिष्पन्ननाम क्या है? उ. नामनिष्पन्ननाम इस प्रकार है जो पिता या पितामह अथवा पिता के पितामह के नाम से निष्पन्न होता है। वह नामनिष्पन्ननाम है। प्र. (८) अवयवनिष्पन्ननाम क्या है? उ. अवयवनिष्पन्ननाम इस प्रकार है शृंगी, सिखी, विषाणी, दंष्ट्री, पक्षी, खुरी, नखी, वाली, द्विपद, चतुष्पद, बहुपद, लांगूली, केशरी, ककुदी आदि। से तंणामेणं। प. (८) से किं तं अवयवेणं? उ. अवयवेणंसिंगी, सिही, विसाणी, दाढी, पक्खी, खुरी, णही, वाली। दुपय चउप्पय बहुपय णंगूली केसरी ककुही॥ परियरबंधेण भडं जाणेज्जा, महिलियं निवसणेणं। सित्थेण दोणपागं, कविं च एगाइ गाहाए॥ से तं अवयवेणं। -अणु. सु. २६३१२७१ १६७. संजोग णिफण्ण णामा प. (९) से किं तं संजोगेणं? । उ. संजोगेणं चउव्विहे पण्णत्ते,तं जहा १. दव्वसंजोगे, २. खेलसंजोगे, ३. कालसंजोगे, ४. भावसेजोगे। प. (क) से किं तं दव्वसंजोगे? उ. दव्वसंजोगे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा १. सचित्ते,२.अचित्ते, ३. मीसए। प. से किं तं सचित्ते? उ. सचित्ते गोहिं गोमिए, इसके अतिरिक्त कमर कसने से योद्धा पहचाना जाता है, विशिष्ट प्रकार के वस्त्रों को पहनने से महिला पहचानी जाती है, एक कण के पकने से द्रोणपरिमित अन्न का पकना माना जाता है, एक ही गाथा के सुनने से कवि को पहचाना जाता है। यह अवयवनिष्पन्ननाम है। १६७. संयोग निष्पन्न नाम प्र. (९) संयोगनिष्पन्ननाम क्या है? उ. संयोग चार प्रकार के कहे गये हैं,यथा १. द्रव्यसंयोग, २. क्षेत्रसंयोग, ३. कालसंयोग, ४. भावसंयोग। प्र. (क) द्रव्यसंयोग निष्पन्न नाम क्या है? उ. द्रव्यसंयोग तीन प्रकार के कहे गये हैं, यथा १. सचित्तद्रव्यसंयोग, २. अचित्तद्रव्यसंयोग, ३. मिश्रद्रव्यसंयोग। प्र. सचित्तद्रव्यसंयोग निष्पन्न नाम क्या है? उ. सचित्तद्रव्यसंयोग निष्पन्न नाम इस प्रकार है-गाय के संयोग से गोमान् (ग्वाला), महिषी (भैंस) के संयोग से महिषी-पटरानी, मेषियों (भेड़ों) के संयोग से मेषीमान् ऊंटनियों के संयोग से उष्ट्रीपाल आदि नाम होना। ये सचित्तद्रव्यसंयोग निष्पन्न नाम है। प्र. अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम क्या है? उ. अचित्तद्रव्य संयोग निष्पन्न नाम इस प्रकार है छत्र के संयोग से छत्री, दंड के संयोग से दंडी, . पट के संयोग से पटी, घट के संयोग से घटी, कट के संयोग से कटी आदि नाम होना। ये अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम है। महिसीहिं महिसिए, ऊरणीहिं ऊरणिए, उट्टीहिं उट्टीवाले। से तं सचित्ते। प. से किं तं अचित्ते? उ. अचिते छत्तेणं छत्ती, दंडेण दंडी, पडेण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी। से तं अचित्ते।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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