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________________ ७६२ प. से किं तं मीसए? उ. मीसए हलेणं हालिए,सकडेणं साकडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए। से तंमीसए। से तंदव्वसंजोगे। प. (ख) से किं तं खेत्तसंजोगे? उ. खेत्तसंजोगे १. भारहे, २. एरवए, ३. हेमवए, ४. एरण्णवए, ५. हरिवस्सए, ६. रम्मयवस्सए, ७. पुव्यविदेहए, ८.अवरविदेहए, ९.देवकुरुए,१०, उत्तकुरुए। अहवा- १. मागहए, २. मालवए,. ३. सोरट्ठए, ४. मरहट्ठए, ५. कोंकणए, ६. कोसलए। सेतं खेत्तसंजोगे। प. (ग) से किंतं कालसंजोगे? उ. कालसंजोगे १. सुसमसुसमए, २. सुसमए, ३. सुसमदूसमए, ४. दूसमसुसमए, ५. दूसमए, ६. दूसमदूसमए, अहवा- १. पाउसए, २. वासारत्तए, ३. सरदए, ४. हेमंतए, ५. वसंतए, ६. गिम्हए। सेतं कालसंजोगे। -अणु.सु.२७२-२७८ १६८.पसत्यापसत्य णामा प. (घ) से किं तं भावसंजोगे? उ. भावसंजोगे दुविहे पण्णत्ते,तं जहा १. पसत्ये य, २. अपसत्ये य। प. से किं तं पसत्थे? उ. पसत्थे १. नाणेणं नाणी, २. दंसणेणं दसणी, ३. चरित्तेणं चरित्ती। से तं पसत्ये। प. से किं तं अपसत्थे? उ. अपसत्थे कोहेणं कोही,माणेणं माणी, मायाए मायी,लोभेणं लोभी। द्रव्यानुयोग-(१) प्र. मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम क्या है ? उ. मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम इस प्रकार है हल के संयोग से हालिक, शकट के संयोग से शाकटिक, रथ के संयोग से रथिक, नाव के संयोग से नाविक आदि नाम होना। ये मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम हैं। यह द्रव्य संयोग निष्पन्न नाम है। प्र. (ख) क्षेत्रसंयोग निष्पन्न नाम क्या है? उ. क्षेत्रसंयोग निष्पन्न नाम इस प्रकार है १. यह भारतीय है,२. यह ऐरावतक्षेत्रीय है, ३. यह हेमवतक्षेत्रीय है, ४. यह ऐरण्यवतक्षेत्रीय है, ५. यह हरिवर्षक्षेत्रीय है, ६. यह रम्यक्वर्षक्षेत्रीय है, ७. यह पूर्वविदेहक्षेत्रीय है, ८. यह उत्तरविदेहक्षेत्रीय है, ९. यह देवकुरुक्षेत्रीय है, १०.यह उत्तरकुरुक्षेत्रीय है। अथवा- १. यह मागधीय है, २. मालवीय है, ३. सौराष्ट्रीय है, ४. महाराष्ट्रीय है, ५. कोंकणदेशीय है, ६. कोशलदेशीय है। ये क्षेत्रसंयोगनिष्पन्ननाम हैं। प्र. (ग) कालसंयोग निष्पन्न नाम क्या है ? उ. कालसंयोग निष्पन्न नाम इस प्रकार है १. सुषमसुषमज, २. सुषमज ३. सुषमदुषमज, ४. दुषमसुषमज, ५. दुषमज, ६. दुषमदुषमज। अथवा- १. प्रावृषिक, २. वर्षारात्रिक, ३. शारदक, ४. हेमन्तक, ५. वासन्तक, ६. ग्रीष्मक। ये कालसंयोग से निष्पन्न नाम हैं। १६८. प्रशस्त-अप्रशस्त नाम प्र. (घ) भावसंयोगनिष्पन्ननाम क्या है? उ. भावसंयोगनिष्पन्ननाम दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. प्रशस्तभावसंयोग, २. अप्रशस्तभावसंयोग। प्र. प्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्ननाम क्या है? उ. प्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्न नाम इस प्रकार है, यथा ज्ञान से ज्ञानी, दर्शन से दर्शनी, चारित्र से चारित्री आदि नाम होना। ये प्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्ननाम हैं। प्र. अप्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्ननाम क्या है? उ. अप्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्न नाम इस प्रकार है क्रोध के संयोग से क्रोधी, मान के संयोग से मानी, माया के संयोग से मायी, लोभ के संयोग से लोभी आदि नाम होना। यह अप्रशस्तभाव है। यह भावसंयोग है। यह संयोगनिष्पन्न नाम है। सेतं अपसत्ये,सेतं भावसंजोगे, सेतं संजोगेणं। -अणु.सु.२७९-२८१
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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