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________________ ७४२ एवं दोण्णि वि। प. २.णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्याई किं संखेज्जाई असंखेज्जाइं अणंताई? उ. नो संखेज्जाई, मो अणंताई,णियमा असंखेज्जाई। एवं दोण्णि वि। -अणु.सु.१४२-१५१ प. ५. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कालओ केवचिरं होइ? उ. एगदव्यं पडुच्च नहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अंसखेज्जं कालं, णाणादव्वाई पडुच्च सव्वद्धा। एवं दोण्णि वि। प. ६. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्याणमंतरं कालओ केवचिर होइ? उ. तिण्णि वि एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, णाणादव्याई पडुच्च णत्थि अंतरं। प. ७. णेगम-ववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाई सेसदव्याई ___कइभागे होज्जा? उ. तिण्णि वि जहा दव्वाणुपुव्वीए। - द्रव्यानुयोग-(१)) इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी और अवक्तव्य) द्रव्य है। प्र. २. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं? उ. (नैगम-व्यवहारनयसम्मत) आनुपूर्वी द्रव्य न तो संख्यात हैं और न अनन्त हैं किन्तु नियमतः असंख्यात हैं। इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी और अबक्तव्य) द्रव्य है। प्र. ५. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य काल की अपेक्षा कितने समय तक रहते हैं ? उ. एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय, उत्कृष्ट असंख्यात काल तक, विविध द्रव्यों की अपेक्षा सर्वकाल रहते हैं। इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों) के लिए भी जानना चाहिए। प्र. ६. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों का अन्तर कितने काल का है? उ. तीनों का अन्तर एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय का है और उत्कृष्ट असंख्यात काल का है। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है। प्र. ७. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के कितने भाग प्रमाण होते हैं? उ. द्रव्यानुपूर्वी के समान ही यहां भी तीनों द्रव्यों के लिए समझना चाहिए। प्र. ८. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य किस भाव में रहते हैं ? उ. तीनों द्रव्य नियमतः सादि पारिणामिक भाव में ही रहते हैं। प्र. ९. भन्ते! इन नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों, अनानुपूर्वी द्रव्यों और अवक्तव्य द्रव्यों में द्रव्यार्थता, प्रदेशार्थता और द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थता की अपेक्षा कौन किन से अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम! १. नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्य द्रव्य, द्रव्यों की अपेक्षा सब से अल्प है। २. (उनसे) द्रव्यों की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य विशेषाधिक हैं ३.(उनसे) द्रव्यों की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य असंख्यातगुणे हैं। ४. प्रदेशों की अपेक्षा नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य अप्रदेशी होने के कारण सबसे अल्प हैं ५. उनसे प्रदेशों की अपेक्षा अवक्तव्य द्रव्य विशेषाधिक हैं ६.उनसे आनुपूर्वी द्रव्य प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ७. द्रव्यों और प्रदेशों की अपेक्षा से नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्य द्रव्य सबसे अल्प है, ८.(उनसे) द्रव्य और अप्रदेश की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य विशेषाधिक है। ९.(उनसे) अवक्तव्य द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा विशेषाधिक हैं। प. ८. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्यीदव्वाई कयरम्मि भावे होज्जा? उ. तिण्णि वि णियमा सादिपारिणामिए भावे होज्जा। प. ९. एएसि णं भंते! णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाणं अणाणुपुव्वीदव्वाणं अवत्तव्वयदव्वाण य दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा! १. सव्वत्थोवाई णेगम-ववहाराणं अवत्तव्ययदव्याई दव्वट्ठयाए, २.अणाणुपुव्वीदव्वाई दव्वट्ठयाए विसेसाहियाई, ३.आणुपुव्वीदव्वाई दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणाई। ४. पएसट्ठयाए सव्वत्थोवाई णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्यीदव्याई अपएसट्ठयाए, ५.अवत्तव्वयदव्याई पएसट्ठयाए विसेसाहियाई, ६.आणुपुब्बीदव्याई पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणाई। ७. दव्यट्ठ-पएसट्ठयाए सव्वत्थोवाई णेगमववहाराणं अवत्तव्वयदव्याई दव्वट्ठयाए, ८. अणाणुपुव्यीदव्याई दव्यट्ठयाए अपएसट्ठयाए विसेसाहियाई, ९.अवत्तव्वयदव्वाई पएसट्ठयाए विसेसाहियाई, १. ३-४ क्षेत्र और स्पर्शना (सु.१५२/१५३) का वर्णन गणितानुयोग पृ.३०-३२ में देखें।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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