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________________ ज्ञान अध्ययन ६२१ भन्ते ! द्वितीय अध्ययन का क्या अर्थ कहा है? उ. जम्बू ! (आगे का कथानक धर्मकथानुयोग में देखें।) जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर यावत् सिद्धगति नामक स्थान प्राप्त द्वारा प्रथम वर्ग का यह अर्थ कहा है। ऐसा मैं कहता हैं। (ट) द्वितीय वर्गका उत्क्षेप द्वितीय वर्ग के पांच अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. शुंभा, २. निशुंभा, ३.रंभा, ४. निरंभा, ५. मदना। (ठ) तृतीय वर्ग का उत्क्षेप तृतीय वर्ग के चौपन अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. प्रथम अध्ययन यावत् चौपनवां अध्ययन। (ड) चौथे वर्ग का उत्क्षेप चौथे वर्ग में चौपन अध्ययन कहे गए हैं, (ढ) पांचवें-छठे वर्गों के उत्क्षेप पाचवे वर्ग के बत्तीस अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. कमला यावत् २. सरस्वती। बिइयस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते? उ. एवं खलु जंबू। -णाया. सुय. २, व. १, अ. २, सु.३५-३६ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सिद्धिगईनामधेयं ठाणं संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते, १त्ति बेमि। -णाया. सुय.२, व.१,अ.५,सु. ६३ (ट) बीयस्स वग्गस्स उक्खेवो दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहा१.सुंभा,२.निसुंभा, ३.रंभा, ४. निरंभा, ५. मदणा। -णाया. सु.२, व.२, अ.१,सु.४४-४५ (ठ) तइयस्स वग्गस्स उक्खेवो तइयस्स वग्गस्स चउप्पण्णं अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहापढमे अज्झयणे जाव चउपण्णइमे अज्झयणे। -णाया.सु.२ व.३, अ.१,सु.५१ (ड) चउत्थस्स वग्गस्स उक्खेवोचउत्थस्स वग्गस्स चउपण्णं अज्झयणा पण्णत्ता। --णाया. सु.२, व.४, अ.१,सु.६० (ढ) पंचम-छट्ठ वग्गाणं उक्खेवो पंचमस्स वग्गस्स बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा१.कमला जाव ३२ सरस्सई। -णाया.सु.२,व.५,अ.१.सु.६५ (त) छट्ठो वि वग्गो पंचम वग्गसरिसो णबरं-महाकालिदाणं उत्तरिल्लाणं इंदाणं अग्गमहिसीओ। -णाया.सु.२, व.५, अ.१, सु.६९ (थ) सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवो सत्तमस्स वगगस्स चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहा१.सूरप्पभा,२.आयवा, ३.अच्चिमाली,४.पभंकरा। -णाया.सु.२, व.७,अ.१,सु.७० (द) अट्ठमस्स वग्गस्स उक्खेवो अट्ठमस्स वग्गस्स चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहा१. चंदप्पहा, २. दोसिणाभा, ३. अच्चिमाली, ४. पभंकरा। -णाया. सु. २, व.८, अ.१, सु. ७३ (ध) नवमस्स वग्गस्स उक्खेवो नवमस्स वग्गस्स अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहा१.पउमा, २.सिवा, ३. सती,४.अंजू ५. रोहिणी, ६.णवमिया,७.अचला, ८.अच्छरा। -णाया.सु.२ व.९,अ.१,सु.७६ (न) दसमस्स वग्गस्स उक्खेवो दसमस्स वग्गस्स अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता,तं जहा१. कण्हा जाव ८. वसुंधरा। -णाधा.सु.२,१.१०,अ.१,सु.७८ (त) छठे वर्ग के अध्ययन भी पांचवें वर्ग के समान है विशेष-ये सब कुमारियां महाकालादि उत्तर दिशा के इन्द्रों की बत्तीस अग्रमहिषियां हैं। (थ) सातवें वर्गका उत्क्षेप सातवें वर्ग के चार अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. सूर्यप्रभा, २.आतपा, ३. अर्चिमाली, ४. प्रभंकरा। (द) आठवें वर्ग का उत्क्षेप आठवें वर्ग के चार अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. चन्द्रप्रभा, २. ज्योत्स्नाभा, ३. अर्चिमाली, ४. प्रभंकरा। (ध) नवमें वर्ग का उत्क्षेप नवमें वर्ग के आठ अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. पद्मा, २. शिवा, ३. सती, ४. अंजू। ५. रोहिणी, ६. नवमिका,७. अचला, ८. अप्सरा। (न) दसवें वर्ग का उत्क्षेप दसवें वर्ग के आठ अध्ययन कहे गए हैं, यथा१. कृष्णा यावत् ८. वसुंधरा। १. सभी वर्गों का निक्षेप सूत्र इसी प्रकार है।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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