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पश्यता अध्ययन
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२२. पासणया अज्झयणं
२२. पश्यता अध्ययन
सूत्र
सूत्र
१. पासणयाभेय-प्पभेयपरूवणं
प. कइविहा णं भंते ! पासणया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा पासणया पण्णत्ता,तं जहा
१. सागारपासणया,२. अणागारपासणया य। प. सागारपासणया णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! छव्विहा पण्णत्ता,तं जहा
१. सुयणाणसागारपासणया, २. ओहिणाणसागारपासणया, ३. मणपज्जवणाणसागारपासणया, ४. केवलणाणसागारपासणया, ५. सुयअण्णाणसागारपासणया,
६. विभंगणाणसागारपासणया। प. अणागारपासणया णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. चक्खुदंसणअणागारपासणया, २. ओहिदसणअणागारपासणया, ३. केवलदसणअणागारपासणया।
-पण्ण. प.३०,सु.१९३६-१९३८ २. जीवेसु ओहेण पासणया परूवणंएवं जीवाणं पि।
-पण्ण. प.३०,सु. १९३९ ३. चउवीसदंडएसु पासणया भेयप्पभेया परूवणं
प. दं.१.णेरइयाणं भंते ! कइविहा पासणया पण्णत्ता?
१. पश्यता के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण
प्र. भन्ते ! पश्यता कितने प्रकार की कही गई है ? उ. गौतम ! दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. साकारपश्यता, २. अनाकारपश्यता। प्र. भन्ते ! साकारपश्यता कितने प्रकार की कही गई है? उ. गौतम ! छह प्रकार की कही गई है, यथा
१. श्रुतज्ञानसाकारपश्यता, २. अवधिज्ञानसाकारपश्यता,
३. मनःपर्यवज्ञानसाकारपश्यता, - ४. केवलज्ञानसाकारपश्यता,
५. श्रुतअज्ञानसाकारपश्यता,
६. विभंगज्ञानसाकारपश्यता। प्र. भन्ते ! अनाकारपश्यता कितने प्रकार की कही गई है? उ. गौतम ! तीन प्रकार की कही गई है, यथा
१. चक्षुदर्शनअनाकारपश्यता, २. अवधिदर्शनअनाकारपश्यता, ३. केवलदर्शनअनाकारपश्यता।
२. सामान्य से जीवों में पश्यता का प्ररूपण
इसी प्रकार समुच्चय जीवों में पश्यता का वर्णन करना चाहिए। ३. चौबीस दण्डकों में पश्यता के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण
प्र. दं. १. भन्ते ! नैरयिकों की पश्यता कितने प्रकार की कही
उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. सागारपासणयाय,२. अणागारपासणयाय । प. णेरइयाणं भंते ! सागारपासणया कइविहा पण्णत्ता?
उ. गौतम ! दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. साकारपश्यता,२. अनाकारपश्यता। प्र. भन्ते ! नैरयिकों की साकारपश्यता कितने प्रकार की कही
उ. गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा
१. सुयणाणसागारपासणया, २. ओहिणाणसागारपासणया, ३. सुयअण्णाणसागारपासणया,
४. विभंगणाणसागारपासणया। प. णेरइयाणं भंते ! अणागारपासणया कइविहा पण्णत्ता?
उ. गौतम ! चार प्रकार की कही गई है, यथा
१. श्रुतज्ञानसाकारपश्यता, २. अवधिज्ञानसाकारपश्यता, ३. श्रुतअज्ञानसाकारपश्यता,
४. विभंगज्ञानसाकारपश्यता। प्र. भन्ते ! नैरयिकों की अनाकारपश्यता कितने प्रकार की कही
उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. चक्खुदंसणअणागारपासणया य, २. ओहिदंसणअणागारपासणया य। दं.२-११.एवं जाव थणियकुमारा।
उ. गौतम ! दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. चक्षुदर्शनअनाकारपश्यता, २. अवधिदर्शनअनाकारपश्यता। दं.२-११. इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए।