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________________ ५४८ प. द.१२. पुढविक्काइयाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णते? उ. गोयमा ! तिविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १. ओरालियसरीरकायप्पओगे, २. ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगे, ३. कम्मगसरीरकायप्पओगे। दं.१३-१६.एवं जांव वणस्सइकाइयाणं। द्रव्यानुयोग-(१) प्र. द.१२. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे गए हैं? उ. गौतम ! उनके प्रयोग तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. औदारिकशरीरकायप्रयोग, २. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, ३. कार्मणसरीरकायप्रयोग। दं. १३-१६. इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों पर्यन्त समझना चाहिए। णवर-वाउक्काइयाणं पंचविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १. ओरालियसरीरकायप्पओगे, २. ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगे, ३-४. वेउव्विए दुविहे, विशेष-वायुकायिकों के प्रयोग पांच प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. औदारिकशरीरकायप्रयोग, २. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, ३-४. वैक्रियशरीरकायप्रयोग और वैक्रियमिश्रशरीरकाय प्रयोग, ५. कम्मगसरीरकायप्पओगे य। प. दं.१७. बेइंदियाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णते? उ. गोयमा ! चउव्विहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १. असच्चामोसवइप्पओगे, २. ओरालियसरीरकायप्पओगे, ३. ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगे, ४. कम्मगसरीरकायप्पओगे, दं.१८-१९. एवं जाव चउरिदियाणं। प. दं. २०. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! तेरसविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १. सच्चमणप्पओगे, २. मोसमणप्पओगे, ३. सच्चामोसमणप्पओगे, ४. असच्चामोसमणप्पओगे, ५-८. एवं वइप्पओगे वि, ९. ओरालियसरीरकायप्पओगे, १०. ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगे, ११. वेउब्वियसरीरकायप्पओगे, १२. वेउव्वियमीसगसरीरकायप्पओगे, १३. कम्मगसरीरकायप्पओगे।' ५. कार्मणशरीरकायप्रयोग। प्र. दं. १७. भन्ते ! द्वीन्द्रिय जीवों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे गए हैं? उ. गौतम ! उनके प्रयोग चार प्रकार के कहे गए हैं- यथा १. असत्यामृषावचनप्रयोग, २. औदारिकशरीरकायप्रयोग, ३. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, ४. कार्मणशरीरकायप्रयोग। दं. १८-१९. इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों पर्यन्त प्रयोग समझना चाहिए। प्र. द. २०. भन्ते ! पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिकों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे गए हैं? उ. गौतम ! उनके प्रयोग तेरह प्रकार के कहे गए हैं- यथा १. सत्यमनःप्रयोग, २. मृषामनःप्रयोग, ३. सत्यमृषामनःप्रयोग, ४. असत्यामृषामनःप्रयोग, ५-८. इसी प्रकार चारों वचन प्रयोग भी समझना चाहिए, ९. औदारिकशरीरकायप्रयोग, १०. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, ११. वैक्रियशरीरकायप्रयोग, १२. वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोग, १३. कार्मणशरीरकायप्रयोग। १. गब्भवक्कंतिअ पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं - तेरसविहेपओगे पण्णत्ते,तं जहा१. सच्चमणप्पओगे, २. मोसमणप्पओगे, ३. सच्चामोसमणप्पओगे, । ४. असच्चामोसमणप्पओगे, ५. सच्चवइणओगे, ६. मोसवइप्पओगे, ७. सच्चामोसयइप्पोगे, ८. असच्चामोसवइप्पओगे, ९. ओरालियसरीरकायप्पओगे, १०. ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगे, ११. वेउव्वियसरीरकायप्पओगे, १२. वेउव्वियमीसगसरीरकायप्पओगे, . १३. कम्मगसरीरकायप्पओगे। -सम.सम.१३,सु.७
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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