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________________ प्रयोग अध्ययन २०. पओगऽज्झयणं २०. प्रयोग अध्ययन सूत्र १. पओगभेयपरूवणं प. कइविहे णं भंते ! पओगे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १. सच्चमणप्पओगे, २. मोसमणप्पओगे, ३. सच्चामोसमणप्पओगे, ४. असच्चामोसमणप्पओगे, ५. सच्चवइप्पओगे, ६. मोसवइप्पओगे, ७. सच्चामोसवइप्पओगे, ८. असच्चामोसवइप्पओगे, ९. ओरालियसरीरकायप्पओगे, १०. ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगे, ११. वेउब्वियसरीरकायप्पओगे, १२. वेउव्वियमीसगसरीरकायप्पओगे, १३. आहारगसरीरकायप्पओगे, १४. आहारगमीसगसरीरकायप्पओगे, १५. कम्मगसरीरकायप्पओगे।' -पण्ण. प. १६, सु. १०६८ २. जीव-चउवीसदंडएसपओग परूवणं तिविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा१.मणपओगे, २, वइपओगे, ३.कायप्पओगे। जहा जोगे विगलिंदियवज्जाणं तहा पओगे वि। -ठाणं. अ.३, उ.१ सु. १३२/२ १. प्रयोग के भेदों का प्ररूपण प्र. भन्ते ! प्रयोग कितने प्रकार के कहे गए हैं ? उ. गौतम ! प्रयोग पन्द्रह प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सत्यमनःप्रयोग, २. असत्य (मृषा) मनःप्रयोग, ३. सत्यमृषा (मिश्र) मनःप्रयोग, ४. असत्यामृषामनःप्रयोग, ५. सत्यवचन प्रयोग, ६. मृषावचन प्रयोग, ७. सत्यमृषावचन प्रयोग, ८. असत्यामृषावचनप्रयोग, ९. औदारिकशरीरकायप्रयोग, १०. औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग, ११. वैक्रियशरीरकायप्रयोग, १२. वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोग, १३. आहारकशरीरकायप्रयोग, १४. आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोग, १५. कार्मण शरीरकायप्रयोग। २. जीव-चौवीसदंडकों में प्रयोगों का प्ररूपण प्रयोग तीन प्रकार का कहा गया है, यथा१. मनःप्रयोग, २. वचनप्रयोग, ३. कायप्रयोग। जैसे विकलेन्द्रियों को छोड़कर (तीन) योग का कथन किया गया है वैसे ही (नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त) (तीन) प्रयोग का कथन करना चाहिए। प्र. भन्ते ! जीवों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे गए हैं? उ. गौतम ! जीवों के प्रयोग पन्द्रह प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सत्यमनःप्रयोग यावत् १५. कार्मणसरीरकायप्रयोग। प्र. दं. १. भन्ते ! नैरयिकों के प्रयोग कितने प्रकार के कहे गए हैं? उ. गौतम ! उनके प्रयोग ग्यारह प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सत्यमनःप्रयोग यावत् । २-८. असत्यामृषावचनप्रयोग, ९. वैक्रियसरीरकायप्रयोग, १०. वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोग, ११. कार्मणशरीरकायप्रयोग। दं.२-११. इसी प्रकार असुरकुमारों से स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए। प. जीवाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णते? उ. गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १.सच्चमणप्पओगे जाव १५.कम्मगसरीरकायप्पओगे। प. द.१.णेरइयाणं भंते ! कइविहे पओगे पण्णते? उ. गोयमा ! एक्कारसविहे पओगे पण्णत्ते,तं जहा १. सच्चमणप्पओगे जाव २-८. असच्चामोसवइप्पओगे, ९. वेउव्वियसरीरकायप्पओगे, १०. वेउव्वियमीसगसरीरकायप्पओगे, ११. कम्मगसरीरकायप्पओगे। दं.२-११. एवं असुरकुमाराण वि जाव थणियकुमाराणं। १. सम.सम.१५,सु.१
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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