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________________ भाषा अध्ययन २५. भासगाभासगाणं कायट्टिई परूवणं प. भासए णं भन्ते ! भासए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुत्त। प. अभासएणं भन्ते ! अभासए त्ति कालओ केवचिर होइ? - ५३३ ) २५. भाषक-अभाषकों की कायस्थिति का प्ररूपण प्र. भन्ते ! भाषक जीव भाषक रूप में कितने काल तक रहता है ? उ. गौतम ! जघन्य एक समय तक, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त तक रहता है। प्र. भन्ते ! अभाषक जीव अभाषक रूप में कितने काल तक ___रहता है? उ. गौतम ! अभाषक तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. अनादि-अपर्यवसित, २. अनादि-सपर्यवसित, ३. सादि-सपर्यवसित। उनमें से जो सादि-सपर्यवसित हैं, वे जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल पर्यन्त रहते हैं। उ. गोयमा ! अभासए तिविहे पण्णत्ते,तं जहा १. अणाईए वा अपज्जवसिए, २. अणाईए वा सपज्जवसिए, ३. साईए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जे से साईए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। -पण्ण.प.१८, सु. १३७४-७५ २६. भासगाभासगाणं अंतरकाल परूवणं प. भासगस्स णं भन्ते ! केवइयं कालं अंतर होइ? उ. गोयमा !जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। अभासगस्स साइयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, साइयस्स सपज्जवसियस्स जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं। -जीवा. पडि.९, सु. २३५ २७. भासगाभासगाणं अप्पबहुतंप. एएसिणं भंते ! जीवाणं सच्चभासगाणं, मोसभासगाणं, सच्चामोसभासगाणं, असच्चामोसभासगाणं, अभासगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा जीवा सच्चभासगा, २. सच्चामोसभासगा असंखेज्जगुणा, ३. मोसभासगा असंखेज्जगुणा, ४. असच्चामोसभासगा असंखेज्जगुणा, ५. अभासगा अणंतगुणारे। -पण्ण.प.११, सु. ९०० २८. देवाणं भासणसत्तिप. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव महेसक्खे स्वसहस्सं विउव्वित्ता पभू भासा-सहस्संभासित्तए? उ. हंता, गोयमा ! पभू। प. साणं भंते ! किं एगा भासा, भासासहस्सं? उ. गोयमा ! एगाणं सा भासा, णो खलु तं भासासहस्सं। -विया, स. १४, उ.९, सु.१२ २९. देवाणं विसिट्ठा भासाप. देवाणं भंते ! कतराए भासाए भासंति? कतरा वा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सइ? २६. भाषकों-अभाषकों के अंतरकाल का प्ररूपण प्र. भन्ते ! भाषक का कितने काल का अन्तर होता है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। सादि-अपर्यवसित अभाषक का अन्तर नहीं है, सादि-सपर्यवसित अभाषक का अन्तर जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है। २७. भाषक अभाषकों का अल्पबहुत्वप्र. भन्ते ! इन सत्यभाषक, मृषाभाषक, सत्यामषाभाषक और असत्यामृषाभाषक तथा अभाषक जीवों में से कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. सबसे अल्प जीव सत्यभाषक हैं, २. (उनसे) सत्यामृषाभाषक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) मृषाभाषक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) असत्यामृषाभाषक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अभाषक जीव अनन्तगुणे हैं। २८. देवों की भाषण शक्तिप्र. भन्ते ! महर्द्धिक यावत् महासुखी देव क्या हजार रूपों की विकुर्वणा करके हजार भाषाएँ बोलने में समर्थ है? उ. हाँ, गौतम ! वह समर्थ है। प्र. भन्ते ! वह एक भाषा है या हजार भाषाएँ हैं? उ. गौतम ! वह एक भाषा है, हजार भाषाएँ नहीं हैं। २९. देवों की विशिष्ट भाषाप्र. भन्ते ! देव कौन-सी भाषा बोलते हैं? तथा बोली जाती हुई कौन-सी भाषा विशिष्ट रूप होती है? १. जीवा. पडि.९,सु.२३५ २. (क) पण्ण.प.३, सु.२६४ (ख) सव्वत्थोवा भासगा, अभासगा अणंतगुणा। -जीवा. पड़ि९, सु.२३५ (ग) विया.स.२.उ.६, सु.१
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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