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________________ इन्द्रिय अध्ययन ४७३ १६. इन्दियऽज्झयणं १६. इन्द्रिय अध्ययन सूत्र सूत्र १. इंदिय भेय परूवणं प. कइणं भंते ! इंदिया पण्णत्ता? उ. गोयमा !पंच इंदिया पण्णत्ता,तं जहा १. सोइदिए, २. चक्खिदिए, ३. घाणिदिए, ४. जिभिदिए, ५. फासिंदिए। -पण्ण.प.१५, उ.१, सु.९७३ इंदियाणं बाहल्लंप. सोइंदिएणं भंते ! केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? उ. गोयमा ! अंगुलस्स असंखेज्जइभागं बाहल्लेणं पण्णत्ते, १. इन्द्रियों के भेदों का प्ररूपण प्र. भन्ते ! इन्द्रियाँ कितनी कही गई हैं ? उ. गौतम ! पांच इन्द्रियाँ कही गई हैं, यथा १. श्रोत्रेन्द्रिय, २. चक्षुरिन्द्रिय, ३. घ्राणेन्द्रिय, ४. जिह्वेन्द्रिय, ५. स्पर्शेन्द्रिय। इन्द्रियों का बाहल्यप्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय का बाहल्य (मोटाई) कितना कहा गया है ? उ. गौतम ! अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण बाहल्य कहा गया है। इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय पर्यन्त बाहल्य जानना चाहिए। इन्द्रियों की विशालताप्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय की कितनी विशालता कही गई है? उ. गौतम ! अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण विशालता कही एवं जाव फासिदिए। -पण्ण.प.१५, उ.१,सु.९७५ इंदियाणं पोहत्तंप. सोइंदिएणं भंते ! केवइयं पोहत्तेणं पण्णत्ते? उ. गोयमा ! अंगुलस्स असंखेज्जइभागं पोहत्तेणं पण्णत्ते. एवं चक्खिंदिए वि, घाणिदिए वि, प. जिभिंदिए णं भंते ! केवइयं पोहत्तेणं पण्णत्ते? उ. गोयमा ! अंगुलपुहत्तं पोहत्तेणं पण्णत्ते। इसी प्रकार चक्षुरिन्द्रिय एवं घ्राणेन्द्रिय के विषय में भी समझना चाहिए। प्र. भन्ते ! जिह्वेन्द्रिय की कितनी विशालता कही गई है ? उ. गौतम ! जिह्वेन्द्रिय की अंगुल पृथक्त्व की विशालता कही गई है। प्र. भन्ते ! स्पर्शेन्द्रिय की कितनी विशालता कही गई है? उ. गौतम ! स्पर्शेन्द्रिय की विशालता शरीरप्रमाण कही गई है। प. फासिंदिए णं भंते ! केवइयं पोहत्तेणं पण्णत्ते? उ. गोयमा !सरीरपमाणमेत्ते पोहत्तेणं पण्णत्ते। -पण्ण.प.१५, उ.१.सु.९७६ इंदियाणं पएसाप. सोइंदिए णं भंते ! कइपएसिए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! अणंतपएसिए पण्णत्ते, एवं जाव फासिदिए। -पण्ण. प. १५, उ. १, सु. ९७७ इंदियाणं पएसोगाढत्तंप. सोइंदिए णं भंते ! कइपएसोगाढे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! असंखेज्जपएसोगाढे पण्णत्ते, एवं जाव फासिंदिए। -पण्ण. प.१५, उ. १,सु.९७८ इंदियाणं संठाणंप. सोइंदिए णं भंते ! किं संठिए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! कलंबुया-पुष्फ-संठाणसंठिए पण्णत्ते, प. चक्विंदिए णं भंते ! किं संठिए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! मसूरचंदसंठाणसंठिए पण्णत्ते। इन्द्रियों के प्रदेशप्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय कितने प्रदेश वाली कही गई है? उ. गौतम ! वह अनन्त प्रदेश वाली कही गई है। इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय पर्यन्त के प्रदेशों के सम्बन्ध में कहना चाहिए। इन्द्रियों का प्रदेशावगाढत्वप्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय कितने प्रदेशों में अवगाढ़ कही गई है ? उ. गौतम ! असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ कही गई है। इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय पर्यन्त कहना चाहिए। इन्द्रियों के संस्थानप्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय किस आकार की कही गई है? उ. गौतम ! वह कदम्बपुष्प के आकार की कही गई है। प्र. भन्ते ! चक्षुरिन्द्रिय किस आकार की कही गई है? उ. गौतम ! मसूरचन्द्र के आकार की कही गई है। १. (क) विया.स.२, उ.४,सु.१ (ख) विया.स.१६,उ.१,सु.१९ (ग) विया.स.१७, उ.१,सु.१६
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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