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________________ द्रव्यानुयोग-(१) ३९. सरीरोगाहणा अप्पबहुत्तंप. एएसिणं भंते !ओरालिय-वेउव्विय-आहारग- तेयाकम्मग सरीराणं जहणियाए ओगाहणाए उक्कोसियाए ओगाहणाए जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा, २-३. तेया-कम्मगाणं दोण्ह वितुल्ला। जहणिया ओगाहणा विसेसाहिया, ४. वेउव्वियसरीरस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, ५. आहारग सरीरस्स जहणिया ओगाहणा __ असंखेज्जगुणा, उक्कोसियाए ओगाहणाए१. सव्वत्थोवा आहारगसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा, २. ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा, संखेज्जगुणा ३. वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, ४-५. तेयगकम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा। ३९. शरीर-अवगाहना का अल्पबहुत्वप्र. भंते ! औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण इन पांच शरीरों में से जघन्य अवगाहना, उत्कृष्ट अवगाहना एवं जघन्योत्कृष्ट अवगाहना की अपेक्षा से कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है? - उ. गौतम ! १. सबसे अल्प औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना है। २-३. (उससे) तैजस् और कार्मण दोनों शरीरों की अवगाहना परस्पर तुल्य हैं, - किन्तु औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना से विशेषाधिक है। ४. (उससे) वैक्रिय शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। ५. (उससे) आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। उत्कृष्ट अवगाहना की अपेक्षा से१. सबसे अल्प आहारक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना है। २. (उससे) औदारिक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। ३. (उससे) वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यात___ गुणी है। ४-५. (उससे) तैजसू और कार्मण, दोनों की उत्कृष्ट अवगाहना परस्पर तुल्य है, किन्तु वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना से असंख्यातगुणी है। जघन्योत्कृष्ट अवगाहना की अपेक्षा से १. सबसे अल्प औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना है। २-३. तैजस् और कार्मण दोनों शरीरों की जघन्य अवगाहना परस्पर तुल्य है, किन्तु औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना विशेषाधिक है। ४. (उससे) वैक्रिय शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुणी है। ५. (उससे) आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। ६. आहारक शरीर की जघन्य अवगाहना से उसी की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। ७. (उससे) औदारिक शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी है। ८. (उससे) वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यात गुणी है। ९-१०. (उससे) तैजस् और कार्मण दोनों शरीरों की उत्कृष्ट अवगाहना परस्पर तुल्य है, किन्तु वह वैक्रिय शरीर की उत्कृष्ट अवगाहना से असंख्यातगुणी है। जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए १. सव्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा, २-३. तेयगकम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला, जहण्णिया ओगाहणा विसेसाहिया, ४. वेउव्वियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, ५. आहारगसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, ६. आहारगसरीरस्स जहण्णियाहिंतो ओगाहणाहितो तस्स चेव उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया, ७. ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, ८. वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा, ९-१०. तेयगकम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा। -पण्ण. प.२१, सु. १५६६ १. विया.स.१०,उ.१,सु.१८-१९
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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