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________________ शरीर अध्ययन उ. गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते,तं जहा १. जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालियसरीरे उ. गौतम ! वह तीन प्रकार का कहा गया है, यथा १. जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर, य, २. स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर, ३. खेचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर। प्र. भंते !जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. सम्मूर्छिम जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर, २. गर्भज जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर। २. थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालिय-सरीरे य, ३. खहयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालिय-सरीरे य। प. जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालियसरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते,तं जहा१. सम्मुच्छिम-जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरे य, २. गब्भवक्कंतिय-जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरे य। प. सम्मुच्छिम-जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा १. पज्जत्तय-सम्मुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय____ओरालियसरीरे य, २. अपज्जत्तय-सम्मुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरे य। एवं गब्भवक्कंतिए वि। प. थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालियसरीरे णं भंते !कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१. चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरे य, २. परिसप्प-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरे य। प. चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय___ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१. सम्मुच्छिम-चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय पंचेंदिय-ओरालियसरीरे य, २. गब्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय पंचेंदिय-ओरालियसरीरे य। प. सम्मुच्छिम-चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१. पज्जत्तय-सम्मुच्छिम-चउप्पय-थलयर तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालियसरीरे य, २. अपज्जत्तय-सम्मुच्छिम-चउप्पय-थलयर___तिरिक्खजोणिय-पंचेंदिय-ओरालियसरीरे य। एवं गब्भवक्कंतिए वि। प्र. भंते ! सम्मूर्छिम जलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? - उ. गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. पर्याप्तक सम्मूर्छिम तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर, २. अपर्याप्तक सम्मूर्छिम तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर। इसी प्रकार गर्भज के भी दो भेद हैं। प्र. भंते ! स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर, २. परिसर्प स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर, प्र. भंते ! चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर, २. गर्भज चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर । प्र. भंते ! सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेंद्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है? उ. गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. पर्याप्तक सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर, २. अपर्याप्तक सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर तिर्यञ्चयोनिक ___पंचेंद्रिय औदारिक शरीर । इसी प्रकार गर्भज के भी दो भेद हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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