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________________ ( ३१६ - ३१६ उ. गोयमा !चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं अड्ढाइज्जाई पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं दो पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवाणं दिवड्ढे पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। प. बलिस्सणं भंते ! वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? द्रव्यानुयोग-(१) उ. गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति अढाई पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति दो पल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति डेढ़ पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बली की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही उ. गोयमा ! बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं अद्भुट्ठ पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। मज्झिमियाए परिसाए देवाणं तिण्णि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवाणं अड्ढाइज्जाई पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। प. चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गौतम ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बली की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति साढ़े तीन पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति तीन पल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति अढ़ाई पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की । कही गई है? मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति डेढ़ पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति एक पल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति अर्ध पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बली की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही उ. गोयमा !चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकमाररण्णो अभिंतरियाए परिसाए दैवीणं दिवड्ढं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। मज्झिमियाए परिसाए देवीणं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवीणं अद्धपलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। प. बलिस्सणं भंते ! वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं काल ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! बलिस्सणं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवीणं अड्ढाइज्जाइं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता? बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बली की आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति अढाई पल्योपम की कही गई है।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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