SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 422
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्थिति अध्ययन २३. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेवीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २३, सु.७ २४. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चउवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २४, सु. ९ २५. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पणवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २५, सु. १२ २६. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं छब्बीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२६, सु. ५ २७. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २७, सु. ९ २८. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं अट्ठावीस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. २८, सु.८ २९. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एगूणतीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.२९, सु.१२ ३०. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। _ -सम. सम.३०, सु.११ ३१. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एक्कतीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. ३१, सु.८ ३२. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं बत्तीस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम.३२, सु. ९ ३३. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेत्तीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। -सम. सम. ३३, सु.८ ५६. असुरकुमारीणं देवीणं ठिई प. असुरकुमारीणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? - ३१५ ) २३. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति तेईस पल्योपम की कही गई है। २४. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति चौबीस पल्योपम की कही गई है। २५. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति पच्चीस पल्योपम की कही गई है। २६. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति छब्बीस पल्योपम की कही गई है। २७. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति सत्ताईस पल्योपम की कही गई है। २८. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति अट्ठाईस पल्योपम की कही गई है। २९. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति उनतीस पल्योपम की कही गई है। ३०. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति तीस पल्योपम की कही ३१. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति इकतीस पल्योपम की कही गई है। ३२. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति बत्तीस पल्योपम की कही गई है। ३३. कतिपय असुरकुमार देवों की स्थिति तेतीस पल्योपम की कही ५६. असुरकुमार देवियों की स्थिति प्र. भन्ते ! असुरकुमार देवियों की स्थिति कितने काल की कही उ. गोयमा ! जहण्णेण दस वाससहस्साई, उक्कोसेण अद्धपंचमाइं पलिओवमाईं। प. अपज्जत्तियाणं भंते ! असुरकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तियाणं भंते ! असुरकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेण अद्धपंचमाई पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। -पण्ण.प.४, सु.३४८ ५७. असुरिंदचमरबलीणं परिसागय देवदेवीणं ठिईप. चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की, उत्कृष्ट साढ़े चार पल्योपम की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त असुरकुमार देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त असुरकुमार देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम साढ़े चार पल्योपम की। ५७. असुरेन्द्र चमर बली की परिषदागत देव-देवियों की स्थितिप्र. भन्ते ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? १. (क) अणु. कालदारे सु. ३८४/१ (ख) जीवा. पडि.२,सु.४१
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy