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________________ स्थिति अध्ययन उक्कोसेण बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई। प. सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । प. अपज्जत्तय-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि,उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तय-सुहमपुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं३। प. बादरपुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? . - २९७ ) उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बाईस हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बाईस हजार वर्ष की। उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण बावीसं वाससहस्साई। प. अपज्जत्तय-बादरपुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तय-बादरपुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहत्तूणाई। -पण्ण. प.४,सु.३५४-३५६ प. सण्हपुढवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण एगं वाससहस्साई।। प. सुद्धपुढवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण बारस वाससहस्साई। प. वालुयापुढवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण चोद्दस वाससहस्साई। प. मणेसीलापुढवीण भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? प्र. भन्ते ! कोमल पृथ्वी की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट एक हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! शुद्ध पृथ्वी की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट बारह हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! वालुका पृथ्वी की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट चौदह हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! मनोसिल पृथ्वी की स्थिति कितने काल की कही उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण सोलस वाससहस्साई। प. सक्करापुढवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण अट्ठारस वाससहस्साई। उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट सोलह हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! सर्करा पृथ्वी की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट अठारह हजार वर्ष की। (क) अणु.कालदारे सु.३८५/१ (ख) उत्त.अ.३६,गा.८० (ग) जीवा. पडि.५, सु.२१२ (घ) जीवा.पडि.८,सु.२२८ (ङ) विया.स.१,उ.१,सु.६/१२/१ २. जीवा. पडि.१,सु. १३ (२०) ३. (क) अणु.कालदारे सु.३८५/१ ४. (क) जीवा. पडि.१ सु.१५ (ख) जीवा. पडि.५ सु.२१८
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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