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________________ जीव अध्ययन २. बादरणिगोदा अपत्ता दव्वनुयाए असंखेज्जगुणा, ३. सुहुमणिगोदा अपज्जत्ता दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, ४. सुहुमणिगोदा पज्जत्ता दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, ५. सुहुमणिगोदेहिंतो पज्जत्तएहिंतो दव्वट्ठयाए बादरणिगोदजीवा पज्जत्ता पएसट्टयाए अनंतगुणा, ६. बादरनिगोदजीवा अपज्ञ्जता दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, ७. सुहुमणिगोदजीवा अपज्जत्ता दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, ८. सुहुमणिगोदजीवा पज्जत्ता दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, ९. सुहुमणिगोदजीवेहिंतो पज्जत्तएहिंतो दव्वट्टयाए बादरणिगोदजीवा पज्जत्ता पएसझ्याए असंखेज्जगुणा । १०. बादरनिगोदजीवा अपज्जत्ता पएसठ्ठयाए असंखेज्जगुणा, ११. सुहुमणिगोदजीवा अपत्ता पएसइयाए असंखेज्जगुणा, १२. सुहुमणिगोदजीवा पज्जता पएसड्डयाए संखेज्जगुणा, १३. सुमणिगोदजीवेहिंतो पज्जत्तएहिंतो पएसङ्ख्याए बादरणिगोदा पज्जत्ता पएसयाए अनंतगुणा, १४. बादरणिगोदा अपज्जत्ता पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, १५. सुमणिगोदा अपज्जत्ता परसट्टयाए असंखेज्जगुणा, १६. सुहुमणिगोदा पज्जत्ता पएसडयाए संखेज्जगुणा । - जीवा. पडि. ५, सु. २२४ २६१ २. उनसे द्रव्य की अपेक्षा अपर्याप्तक बादर निगोद असंख्यातगुणे हैं, ३. ( उनसे) द्रव्य की अपेक्षा अपर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद असंख्यात हैं, ४. ( उनसे) द्रव्य की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद संख्यातगुणे हैं. ५. द्रव्य की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्मनिगोदों से पर्याप्तक बादर निगोद जीव प्रदेश की अपेक्षा अनंतगुणे हैं। ६. ( उनसे ) द्रव्य की अपेक्षा अपर्याप्तक बादर निगोद जीव असंख्यातगुणे हैं, ७. ( उनसे ) द्रव्य की अपेक्षा अपर्याप्तक सूक्ष्म निगोद जीव असंख्यातगुणे हैं, ८. ( उनसे) द्रव्य की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद जीव संख्यातगुणे हैं. ९. द्रव्य की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद जीवों से पर्याप्तकबादर निगोद जीव प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, १०. ( उनसे) प्रदेश की अपेक्षा अपर्याप्तक बादर निगोद जीव असंख्यातगुणे है, ११. (उनसे) प्रदेश की अपेक्षा अपर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद जीव असंख्यातगुणे हैं, १२. ( उनसे ) प्रदेश की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद जीव संख्यातगुणे हैं, १३. प्रदेश की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्म निगोद जीवों से पर्याप्तक बादर निगोद जीव प्रदेश की अपेक्षा अणतगुणे हैं. १४. ( उनसे) प्रदेश की अपेक्षा अपर्याप्तक बादरनिगोद असंख्यातगुणे हैं, १५. ( उनसे) प्रदेश की अपेक्षा अपर्याप्तक सूक्ष्म निगोद असंख्यातगुणे हैं, १६. ( उनसे) प्रदेश की अपेक्षा पर्याप्तक सूक्ष्म निगोद संख्यातगुणे हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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