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________________ जीव अध्ययन १६९ ) अथवा- १. चरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य, २. अचरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य। यह स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-चीतराग-चारित्रार्य का वर्णन हुआ। प्र. बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. प्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-चारित्रार्य, पाप अहवा १. चरिमसमय-सयं बुद्ध-छउमत्थ-खीण कसाय- वीयराय-चरित्तारिया य, २. अचरिमसमय-सयंबद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-चरित्तारिया य। से तं सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया। प. से किं तं बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया ? उ. बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. पढमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-चरित्तारिया य, २. अपढमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-चरित्तारिया य। अहवा १. चरिमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय- वीयराय-चरित्तारिया य, २. अचरिमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-चरित्तारिया य। से तं बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया। सेतं छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया। प. से किं तं केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ? उ. केवलि - खीणकसाय - वीयराय - चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१.सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य, २. अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य। प. से किं तं सजोगिकेवलि - खीणकसाय - वीयराय - चरित्तारिया ? - उ. सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. पढमसमय-सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया य, २. अपढमसमय-सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया य। अहवा १. चरिमसमय-सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय- चरित्तारिया य। २. अचरिमसमय-सजोगिके वलि-खीणकसाय वीयराय-चरित्तारिया य। सेतं सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया। २. अप्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य। अथवा- १. चरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य, २. अचरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य। यह बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रायों का वर्णन हुआ। यह छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्यों का वर्णन हुआ। प्र. केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य, २. अयोगि केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य। प्र. सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कितने प्रकार उ. सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. प्रथमसमय-सयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य, २. अप्रथमसमय-सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य। अथवा- १. चरमसमय-सयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य, २. अचरमसमय-सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य। यह सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रायों का निरूपण हुआ।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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