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________________ १७० द्रव्यानुयोग-(१) प्र. अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कितने प्रकार प. से किं तं अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय- चरित्तारिया ? उ. अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. पढमसमय-अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया य। २. अपढमसमय-अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया य। अहवा- १. चरिमसमय-अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय चरित्तारिया य, २. अचरिमसमय - अजोगिकेवलि - खीणकसाय - वीयराय -चरित्तारिया य। सेतं अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया। सेतं केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया। सेतं खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया। से तं वीयराय-चरित्तारिया। अहवा- चरित्तारिया पंचविहा पण्णत्ता,तं जहा १. सामाइय-चरित्तारिया, २. छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया, ३. परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया, ४. सुहुम-संपराय-चरित्तारिया, ५. अहक्खाय-चरित्तारिया। प. से किंतं सामाइय-चरित्तारिया? उ. सामाइय-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा १. इत्तरिय-सामाइय-चरित्तारिया य, २. आवकहिय-सामाइय-चरित्तारिया य। सेतं सामाइय-चरित्तारिया। प, से किं तं छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया ? उ. छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा १. साइयार-छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया य, २. णिरइयार-छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया य। सेतं छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया। प. से किं तं परिहार-विसुद्धिय-चरित्तारिया ? उ. परिहार-विसुद्धिय-चरित्तारिया दुविहा पण्णता,तं जहा १. निविसमाण-परिहार-विसुद्धिय-चरित्तारिया य, २. निविट्ठकाइय-परिहार-विसुद्धिय-चरित्तारिया य। सेतं परिहार-विसुद्धिय-चरित्तारिया। प. से किं तं सुहुम-संपराय-चरित्तारिया ? उ. सुहुम-संपराय-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा . उ. अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. प्रथमसमय-अयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य, २. अप्रथमसमय-अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य। अथवा- १. चरमसमय-अयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग चारित्रार्य, २. अचरमसमय- अयोगि- केवलि-क्षीणकषाय- वीतराग चारित्रार्य। यह अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्यों का वर्णन पूर्ण हुआ। यह केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्यों का वर्णन हुआ। यह क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्यों का वर्णन हुआ। यह वीतराग-चारित्रार्यों का वर्णन हुआ। अथवा- चारित्रार्य पाँच प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सामायिक-चारित्रार्य, २. छेदोपस्थापनिक-चारित्रार्य, ३. परिहारविशुद्धिक-चारित्रार्य, ४. सूक्ष्म-सम्पराय-चारित्रार्य, ५. यथाख्यात-चारित्रार्य। प्र. सामायिक-चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. सामायिक-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. अल्पकालीन सामायिक चारित्रार्य, २. यावज्जीवन सामायिक-चारित्रार्य। यह सामायिक-चारित्रार्य का निरूपण हुआ। प्र. छेदोपस्थापनिक-चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. छेदोपस्थापनिक चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सदोष छेदोपस्थापनिक-चारित्रार्य, २. निर्दोष छेदोपस्थापनिक-चारित्रार्य। यह छेदोपस्थापनिक-चारित्रार्यों का वर्णन हुआ। प्र. परिहार-विशुद्धिकचारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. परिहार-विशुद्धिकचारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. निर्विश्यमानक-परिहार-विशुद्धि-चारित्रार्य, २. निर्विष्टकायिक-परिहार-विशुद्धि-चारित्रार्य। यह परिहार-विशुद्धिकचारित्रार्यों का वर्णन हुआ। प्र. सूक्ष्म-सम्पराय-चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. सूक्ष्म-सम्पराय-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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