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जीव अध्ययन
सेतं सजोगिकेवलि - खीणकसाय- चीयराय-दंसणारिया ।
प. से किं तं अजोगिकेवलि - खीणकसाय - वीयरायदंसणारिया ?
उ. अजोगिकेवलि - खीणकसाय वीयराय दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. पढमसमय- अजोगिकेवलि - खीणकसाय- वीयरायदंसणारया यं
२. अपदमसमय अजोगि के वलि खीणकसाय. वीयराय- दंसणारिया य,
·
अहवा १ चरिमसमय-अजोगिकेवलि - खीणकसाय- वीयराय
• दंसणारिया य
·
२. अचरिमसमय अजोगि के बलि खीणकसाय
बीयराय दंसणारिया य
सेतं अजोगिकेवलि - खीणकसाय- वीयराय- दंसणारिया ।
सेतं केवलि - खीणकसाय- वीयराय-दंसणारिया ।
सेतं खीणकसाय - चीयराग - दंसणारिया ।
से तं वीयराय दंसणारिया । सेतं दंसणारिया
- पण्ण. प. 9, सु. ११० (३) ११९
प. ९. से किं तं चरितारिया ?
उ चरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. सराग-चरितारिया व २. वीयराय चरितारिया य
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प. से किं तं सराग-चरित्तारिया ?
उ. सराग-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. सुहुम- संपराय सराग-चरितारिया य २. बायर-संपराय सराग-चरितारिया थ।
प से किं तं सुहुम-संपराय सराग-चरित्तारिया ?
उ. सुहुम- संपराय सराग-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता,
तं.
जहा
१. पढमसमय सुहुम- संपराय सराग चरितारिया य २. अपढमसमय- सुहुम-संपराय सराग-चरित्तारिया य । अहवा १ चरिमसमय-हुम संपराय सराग-चरितारिया य
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२. अचरिमसमय- सुहुम-संपराय सराग-चरित्तारिया य । अहवा १. सुहुम- संपराय - सराग-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
"
१. संकिलिस्समाणा व २. विसुज्झमाणा व सेतं सुहुम-संपराय सराग-चरितारिया ।
प से किं तं बायर - संपराय सराग वरित्तारिया ? -
उ. बायर संपराय सराग-चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, त
जहा
प्र. अयोगि केवल क्षीणकषाय- वीतराग दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ?
उ. अयोगि- केवलि-क्षीणकषाय- वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. प्रथमसमय- अयोगि के वलि-क्षीणकषाय वीतरागदर्शनार्य,
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यह सयोगि केवल क्षीणकषाय वीतराग दर्शनार्य की प्ररूपणा हुई।
२. अप्रथमसमय-अयोग केवल क्षीणकषाय वीतरागदर्शनायें।
अथवा १ चरमसमय अयोगि केवल क्षीणकषाय वीतरागदर्शनार्य,
प्र.
उ.
प्र.
उ.
-
-
९. चारित्रार्य (मनुष्य) कितने प्रकार के हैं ?
चारित्रार्य (मनुष्य) दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. सराग चारित्रार्य, २. वीतराग चारित्रार्य ।
सराग चारित्रार्य मनुष्य कितने प्रकार के हैं ?
सराग चारित्रार्य मनुष्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. सूक्ष्म - सम्पराय - सराग चारित्रार्य,
२. बादर - सम्पराय - सराग चारित्रार्य ।
प्र. सूक्ष्म सम्पराय - सराग चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ?
प्र.
उ.
२. अचरमसमय-अयोग केवलि-क्षीणकषाय वीतरागदर्शनार्थ ।
यह अयोगि केवल क्षीणकषाय- वीतराग दर्शनार्यों का वर्णन पूर्ण हुआ।
यह केवल क्षीणकषाय वीतराग दर्शनार्यो का वर्णन पूर्ण हुआ।
यह क्षीणकषाय- वीतराग-दर्शनाय का वर्णन हुआ।
यह वीतराग दर्शनार्यो का वर्णन हुआ।
यह दर्शनार्य (मनुष्यों) का वर्णन हुआ।
उ. सूक्ष्म- सम्पराय - सराग चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं,
यथा
१. प्रथमसमय- सूक्ष्म - सम्पराय सराग चारित्रार्य,
२. अप्रथमसमय- सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्रार्य । अथवा १ चरमसमय-सूक्ष्म- सम्पराय सराग चारित्रार्य,
२. अचरमसमय- सूक्ष्म- सम्पराय सराग चारित्रार्य । अथवा १. सूक्ष्म सम्पराय सराग चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. संक्लिश्यमान,
२. विशुद्धयमान
यह सूक्ष्म- सम्पराय सराग चारित्रार्थ की प्ररूपणा हुई।
बादर - सम्पराय सराग चारित्रार्य कितने प्रकार के हैं ?
बादर - सम्पराय सराग चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं,
यथा