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________________ १६६ १. पढमसमय - सयंबुद्ध - छउमत्थ - खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य, २. अपढमसमय - सयंबुद्ध - छउमत्थ - खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य। अहवा १. चरिमसमय - सयंबुद्ध - छउमत्थ - खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य, २. अचरिमसमय - सयंबुद्ध - छउमत्थ - खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य। सेत सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया। द्रव्यानुयोग-(१) १. प्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य, २. अप्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य। अथवा १. चरमसमय स्वयंबुद्ध - छद्मस्थ - क्षीणकषाय - वीतराग दर्शनार्य, २. अचरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य। यह स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्यों का वर्णन पाप हुआ। प. से किं तं बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय दसणारिया ? उ. बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. पढमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य, २. अपढमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-दंसणारिया य। अहवा १. चरिमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय- वीयराय-दंसणारिया य, २. अचरिमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य। से तं बुद्धबोहिय - छउमत्थ - खीणकसाय - वीयरायदसणारिया। सेतं छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया। प. से किंत केवलि-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया ? उ. केवलि - खीणकसाय - वीयराय - दसणारिया दुविहा पण्णत्ता,तंजहा१. सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-दंसणारिया य। २. अजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया य। प. से किं तं सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय दसणारिया? उ. सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया दुविहा पण्णत्ता,तंजहा१. पढमसमय-सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय दसणारियाय, २. अपढमसमय-सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय दंसणारिया य। अहवा १. चरिमसमय-सजोगिकेवलि-खीणकसाय-वीयराय दंसणारिया य, २. अचरिमसमय-सजोगिके वलि-खीणकसाय वीयराय-दसणारिया य। प्र. बुद्धबोधित - छद्मस्थ - क्षीणकषाय - वीतराग - दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. प्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य, २. अप्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य। अथवा- १. चरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य, २. अचरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य, यह बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य का निरूपण हुआ। यह छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य का निरूपण हुआ। प्र. केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. सयोगि केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य, २. अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य। प्र. सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार । उ. सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. प्रथमसमय-सयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य, २. अप्रथमसमय-सयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य। अथवा १. चरमसमय-सयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य, २. अचरसमय-सयोगि-के वलि-क्षीणकषाय-वीतराग दर्शनार्य।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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