SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीव अध्ययन ल्हासिय, खस, खासिय, णेडूर, मंढ, डोंबिलग, लउस, बउस, केक्कया, अरवागा, हूण, रोसग, भरूग, रूय, विलायविसयवासी य एवमाई। सेतं मिलक्खू। -पण्ण.प.१.सु.९८ (२) अणेगविहा आरियाप. १.से किं तं आरिया? उ. आरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा १.इड्ढिपत्तारिया य,२.अणिड्ढिपत्तारिया य। प. (क) से किं तं इड्ढिपत्तारिया? उ. इड्ढिपत्तारिया छब्विहा पण्णत्ता,तं जहा १.अरहता, २.चक्कवट्टी, ३.बलदेवा, ४.वासुदेवा, ५.चारणा, ६.विज्जाहरा। सेतं इड्ढिपत्तारिया। प. (ख) से किं तं अणिढिपत्तारिया? उ. अणिड्ढिपत्तारियाणवविहा पण्णत्ता, तं जहा १. खेत्तारिया, २. जाइआरिया, ३. कुलारिया, ४. कम्मारिया, ५. सिप्पारिया, ६. भासारिया, ७. णाणारिया, ८. दंसणारिया, ९. चरित्तारिया। प. १.से किं तं खेत्तारिया ? उ. अद्धछब्बीसइविहा पण्णत्ता,तं जहा १.रायगिह मगह २.चंपा अंगा ३. तामलित्ति वंगा य। ४.कंचणपुर कलिंगा ५.वाणारसि चेव कासी य॥ - १६३ ) ल्हासिक, खस, खासिक, नेडूर, मंढ, डोम्बिलक, लओस, बकुश, कैकय, अरबाक, हूण, रोसक, मरूक, रूत और विलात, देशवासी इत्यादि। यह म्लेच्छों का वर्णन हुआ। (२) अनेक प्रकार के आर्यप्र. आर्य कितने प्रकार के है ? उ. आर्य दो प्रकार के कहे गए हैं। यथा १. ऋद्धिप्राप्त आर्य, २.ऋद्धिअप्राप्त आर्य। प्र. (क) ऋद्धिप्राप्त आर्य कितने प्रकार के हैं ? उ. ऋद्धिप्राप्त आर्य छह प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. अर्हन्त, २. चक्रवर्ती, ३. बलदेव, ४. वासुदेव, ५. चारण, ६. विद्याधर। यह ऋद्धिप्राप्त आर्यों की प्ररूपणा हुई। प्र. (ख) ऋद्धिअप्राप्त आर्य कितने प्रकार के हैं ? उ. ऋद्धिअप्राप्त आर्य नौ प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. क्षेत्रार्य, २. जात्यार्य, ३. कुलार्य, ४. कार्य, ५. शिल्पार्य, ६. भाषार्य, ७. ज्ञानार्य, ८. दर्शनार्य, ९. चारित्रार्य। - प्र. १. क्षेत्रार्य कितने प्रकार के कहे हैं ? उ. क्षेत्रार्य साढ़े पच्चीस प्रकार के कहे गए हैं, यथा १.मगध देश में राजगृह नगर, २. अंग देश में चम्पा नगरी, ३. बंग देश में ताम्रलिप्ती, ४. कलिंग देश में कांचनपुर और ५. काशी देश में वाराणसी नगरी। ६. कौशल देश में साकेत नगर, ७. कुरु देश में गजपुर (हस्तिनापुर), ८. कुशात (कुशावर्त देश में) सौरियपुर, ९.पंचाल देश में काम्पिल्य, १०.जांगल देश में अहिच्छत्रा। ११. सौराष्ट्र में द्वारावती (द्वारिका),१२.विदेह (जनपद में) मिथिला नगरी, १३. वत्स देश में कौशाम्बी नगरी, १४. शाण्डिल्य देश में नन्दिपुर, १५. मलय देश में भद्दिलपुर। १६. मत्स्य देश में वैराट नगर, १७. वरण देश में अच्छापुरी, १८. दशार्ण देश में मृत्तिकावती नगरी, १९. चेदि देश में शुक्तिमती (शौक्तिकावती), २०. सिन्धु-सौवीर देश में वीतभय नगर। २१. शूरसेन देश में मथुरा नगरी, २२. भंग नामक जनपद में पावापुरी नगरी, २३. पुरिवर्त (नामक जनपद में) मासापुरी (माषानगरी), २४. कुणाल देश में श्रावस्ती, २५. लाढ देश में कोटिवर्ष (नगर) और २५ १/२ केकयार्द्ध (जनपद में) श्वेताम्बिका नगरी, यह सब २५ १/२ देश आर्य क्षेत्र कहे गए हैं। इन में तीर्थंकरों, चक्रवर्तियों, बलदेव-वासुदेवों का जन्म होता है। यह क्षेत्रार्यों का वर्णन हुआ। प्र. २. जात्यार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. जात्यार्य छह प्रकार के कहे गए हैं, यथा ६.साएय कोसला ७. गयपुरं च कुरु ८. सोरियं कुसट्टा य। ९. कंपिल्लं पंचाला १०.अहिछत्ता जंगला चेव॥ ११. बारवई य सुरठ्ठा, १२.मिहिल विदेहा य १३. वच्छ कोसंबी। १४.णंदिपुरं संडिल्ला १५.भदिलपुरमेव मलया य॥ १६. वइराड वच्छ १७. वरणा अच्छा १८. तह मत्तियावइ दसण्णा। १९. सुत्तीमई य चेदी,२०.वीइभयं सिंधुसोवीरा॥ २१. महुरा य सूरसेणा २२. पावा भंगी य २३. मासपुरि वट्टा। २४.सावत्थी य कुणाला २५.कोडीवरिसंचलाढा य॥ सेयविहा वि यणयरी, केयइअद्धं च आरियं भणियं। एत्थुप्पत्ति जिणाणं, चक्कीण राम-कण्हाणं ।। सेतं खेत्तारिया। प. २.से किं तंजाइआरिया ? उ. जाइआरिया छव्विहा पण्णत्ता, तं जहा
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy